हरिद्वार, 26 फरवरी (हि.स.)। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने शुक्रवार को कहा है कि नागा संन्यासियों के अखाड़े में रमता पंच का महत्वपूर्ण स्थान है। रमता पंच को पंचपरमेश्वर कहा जाता है। रमता पंचों की पूरी जमात देश का भ्रमण कर सनातन धर्म का प्रचार करती है। श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कुम्भ मेलों में जब पंच परमेश्वर छावनी में प्रवेश कर लेते हैं तो अखाड़े की समस्त व्यवस्था इनके हाथों में आ जाती हैं। कोठार तथा कारोबार पर इनका नियंत्रण हो जाता है। समस्त आय-व्यय व अन्य व्यवस्थाएं इनकी देख-रेख में होती हैं। उन्होंने बताया जूना अखाड़े के पंचपरमेश्वर की जमात में चार श्रीमहंत, चार अष्ट कौशल महंत, चार कोठारी, चार कोरोबारी, चार भण्डारी, चार कोतवाल, दो पुजारी तथा फुटकर साधु होते हैं। रमता पंचों की जमात एक कुम्भ मेला सम्पन्न हो जाने पर दूसरे कुम्भ मेले के लिए कूच कर जाती है। तीन वर्षों तक देश के भ्रमण के पश्चात वहां पहुंचती है। मोहन भारती ने बताया हरिद्वार कुम्भ के समापन के बाद रमता पंच अपने लाव लश्कर ( टैक्टर ट्राॅली, ट्रक व अन्य वाहनों) के साथ 2024 के प्रयागराज कुम्भ के लिए कूचकर जाएंगे। सात रमता पंच का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। हरिद्वार कुम्भ में वर्तमान रमता पंच का कार्यकाल समाप्त हो जाएंगा और 12 अप्रैल के दूसरे शाही स्नान के नए पंचों का चयन कर लिया जाएगा। 14 अप्रैल का तीसरा शाही स्नान नवनिर्वाचित रमता पंचों की अगुवाई में होगा। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद