Pauri native mycologist discovered new species of mushroom
Pauri native mycologist discovered new species of mushroom 
उत्तराखंड

पौड़ी मूल के मायकोलॉजिस्ट ने ढूंढी मशरूम की नई प्रजाति

Raftaar Desk - P2

- पौड़ी क्षेत्र में पाई जानी वाली इस जंगली मशरूम को नाम दिया पौड़ी गढ़वालेंसिस पौड़ी, 09 जनवरी (हि.स.)। जनपद पौड़ी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। प्रसिद्ध मायकोलॉजिस्ट (मशरुम विज्ञानी) डॉ. कमल सेमवाल ने पौड़ी जिले में मशरूम की नई जंगली प्रजाति का पता लगाया है। जंगली मशरूम की इस नई प्रजाति को उन्होंने 'पौड़ी गढ़वालेंसिस' नाम दिया है। डॉ. सेमवाल की यह खोज प्रतिष्ठित स्प्रिंगर पब्लिकेशन के फंगल डाइवर्सिटी जर्नल में प्रकाशित हुई है। डॉ. सेमवाल ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। वर्तमान में वह पूर्वी अफ्रीका के एरिट्रिया में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। पौड़ी के समीप खिर्सू क्षेत्र के जंगलों में जंगली मशरूम की एक नई प्रजाति मिली है। इसे वर्ष 2018 में प्रसिद्ध मायकोलॉजिस्ट डॉ. कमल सेमवाल ने खोजा है। कमल सेमवाल मूल रूप से उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद की उखीमठ तहसील के लमगौंडी गांव के निवासी हैं। डॉ. सेमवाल की हाईस्कूल से एमएससी तक की पढाई पौड़ी से हुई। वनस्पति विज्ञान से एमएससी करने के बाद उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय के पौड़ी कैंपस से पीएचडी की। वर्तमान में डा. सेमवाल एरिट्रिया पूर्वी अफ्रीका में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। डॉ. सेमवाल ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि इंटरनेशलन बोटनीकल नामनक्लेचर की प्रक्रिया के तहत उन्होने मशरूम की इस प्रजाति को पौड़ी गढ़वालेसिंस का नाम दिया है। मशरूम प्रजातियों का जंगलों के पारिस्थितिक तंत्र में बहुत बड़ा योगदान है। मशरूम पेड़ों की जड़ों के साथ गहरा सह सम्बंध बनाती है। मशरूम पेड़ों को मिट्टी से विभिन्न प्रकार के तत्व सोखने में मदद करते हैं। इसके बदले पेड़ मशरूम को आश्रय एवं भोजन प्रदान करता है। उत्तराखंड के जंगल में बांज, बुरांश, चीड़, देवदार ओर भी कई प्रकार के पेड़ों के साथ ये प्रजातियां इसी तरह सहसंबंध बनाकर वन पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मशरूम प्रजातियां मृत पादप अवशेषों को उपयोगी ह्यूमस में बदल देती हैं, जिसे पेड़ अवशोषित कर लेते हैं। डॉ. सेमवाल ने बताया कि इस नई प्रजाति में कौन से औषधीय गुण हैं। इस संबंध में अध्ययन किया जा रहा है। डॉ. सेमवाल अब तक मशरूम की आठ नई प्रजातियां खोज चुके हैं। डॉ. सेमवाल के शोध इंग्लैंड के रॉयल बॉटनिकल गॉर्डन से प्रकाशित होने वाले क्यू बुलेटिन, फंगल डाइवर्सिटी, परसोनिया, माइकोस्फीयर, माइकोटेक्सौन में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. सेमवाल अब तक 30 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित कर चुके हैं। इन प्रजातियों की खोजकर दिया नाम -ऑस्ट्रोवोलिट्स अपेन्डिकुलेटस (दून में लाडपुर के जंगल में खोजा) -कोरटिनेरीयस पौड़ीगढ़वालेंसिस (मुंडनेश्वर, फेडखाल से खोजा) -अमानीटा स्यूडोरूफोब्रुनिसेन्स (खिर्सु रोड पर चौबट्टाखाल से खोजा) -कोरटीनेरीयस बालटियाटोइंडिकस (खिर्सु रोड पर गोड़खियाखाल में खोजा) -कोरटीनेरीयस उल्खागढ़ियेनसिस (पौड़ी के निकट उलखागढ़ी से खोजा) -कोरटीनेरियस लीलेसीनोएरीमिलेटस (थलीसैंण, भरसार में खोजा) डॉ. कमल सेमवाल का परिचय कमल सेमवाल के परिवार में माता सुलोचना देवी, भाई शैलेन्द्र व जितेंद्र सेमवाल, पत्नी डॉ आरती सेमवाल, एक पुत्री अन्वेषा हैं। इस वक्त वह एरिट्रिया पूर्वी अफ्रीका में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। इन सब खोज के लिए वह तब समय देते हैं, जब अपने घर पौड़ी छुट्टियों में आते हैं। गढ़वाल के अनेक जंगल उन्होंने छाने हैं। पौड़ी में उनका आवास श्रीनगर रोड पिक्चर हॉल के नीचे है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/मुकुंद-hindusthansamachar.in