ऋषिकेश, 25 फरवरी (हि.स.)। डिजिटल क्रांति के कारण लोग सूचनाओं से सशक्त हो रहे हैं। साथ ही इससेे अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सीखने की पद्धति में अद्वितीय विकास हुआ है। कोरोना ने डिजिटल लर्निंग की उपयोगिता को और बढ़ा दिया है। विगत 1 वर्ष से लगभग पूरा विश्व डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से ही अपने सारे कार्यक्रम, शिक्षण और सम्मेलनों को आयोजित कर रहा है। डिजिटल लर्निंग डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में स्कूल बंद होने के कारण डिजिटल शिक्षण की उपयोगिता बढ़ी और इसकी गुणवत्ता में भी कई सुधार हुये। अब डिजिटल शिक्षण केवल स्कूलों तक सीमित नहीं रहा है बल्कि इसमें पुस्तकालय और उच्च-गुणवत्ता वाली अनेक प्रशिक्षण सामग्री भी शामिल है। कोरोना वैश्विक महामारी के कारण निर्मित वर्तमान परिस्थितियों से पूरी दुनिया बदल गई है। स्कूल, छात्र और शिक्षक सभी का नजरिया बदला और पढ़ने-पढ़ाने का तरीका भी बदला है। अब पढ़ाई ऑनलाइन मोड पर आ गयी है। पठन-पाठन की प्रक्रिया ऑनलाइन मोड में आने से ब्लैकबोर्ड और क्लासरूम का स्थान मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन ने ले लिया है। ऐसे में बच्चों और युवाओं को शिक्षण और संस्कृति से जोड़ने की जिम्मेदारी और बढ़ गयी है। स्वामी ने कहा कि इंटरनेट की विशाल और विस्तृत दुनिया है। इसके माध्यम से बच्चों के पास सीखने के अनंत अवसर हैं। वह अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ा सकते हैं, परन्तु यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि वे इंटरनेट के विशाल ज्ञान के सागर से क्या ग्रहण कर रहे हैं। पारंपरिक शिक्षा की तुलना में डिजिटल शिक्षा प्रभावी है परन्तु इस ओर भटकाव भी बहुत है। अतः ऑनलाइन मोड की शिक्षा गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ शिक्षा के मूल और मूल्यों को समझना और बच्चों को समझाना नितांत आवश्यक है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में एनीमेशन और ऑडियो-विजुअल के कारण प्रभावी एवं तेजी से ग्रहण करने क्षमता में विकास हुआ है। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम