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उत्तराखंड

चमोली आपदाः अपनों के इंतजार में गुजर गया महीना

Raftaar Desk - P2

जोशीमठ, 07 मार्च (हि.स.)। चमोली आपदा में लापता लोगों के परिजन 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही को याद कर सिहर उठते हैं। ऋषि गंगा रैणी और तपोवन में राहत और बचाव कार्य जारी है। तपोवन टनल में फंसे 35 लोगों का अब तक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। रेस्क्यू टीम को पहले टनल में 180 मीटर टी-प्वाइंट तक पंहुचने में काफी दिक्कत हुई। टीम जब यहां पहुंची तो मलबे और पानी के सिवा कुछ नहीं मिला। आशंका है कि वाई जंक्शन तक मलबे के धक्के मे 35 लोग पंहुच गए होंगे। यह भी आशंका है कि ये लोग एसएफटी-सिल्ट फ्लसिंग टनल में फंस हों। ढाक गांव के भरत सिंह बिष्ट के बड़े भाई हरीश 7 फरवरी को टनल पर काम कर रहे थे। हरीश की दो बेटियां और एक बेटा है। वह तब से अपने पिता का इंतजार कर रहे हैं। भरत कहते हैं टनल के बाहर सुबह से शाम गुजर जाती है। इस बीच रेस्क्यू टीम टनल के अन्दर 200 मीटर तक पंहुच चुकी है। एसएफटी मे पानी की मात्रा अत्यधिक होने के कारण वहां खोज अभियान में रुकावट आ रही है। ऋषि गंगा त्रासदी मे कुल 204 लोग लापता हुए थे। इनमें से 72 शव व 31 मानव अंग मिल चुके हैं। इस त्रासदी में 115 कार्मिक/मजदूर एनटीपीसी की सहायक कपंनी ऋत्विक के, तीन एचसीसी कंपनी के, 21 ओम मेटल कपंनी के, दो महिलाएं तपोवन, दो महिलाएं रिंगी और रैणी गांव के पांच लोग सहित 61 लोग रैणी से लापता हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार/प्रकाश/मुकुंद