बीयू में मशरूम उत्पादन की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू
बीयू में मशरूम उत्पादन की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू 
उत्तर-प्रदेश

बीयू में मशरूम उत्पादन की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू

Raftaar Desk - P2

-प्रशिक्षणार्थियों दी गई मशरूम उत्पादन से सम्बन्धित जानकारियां झांसी, 11 अगस्त(हि.स.)। मनुपा-ग्रोअप फाउण्डेशन के अन्तर्गत संचालित मशरूम उत्पादन एवं प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का मंगलवार को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के पूर्व प्रमुख डा.सीपी पैन्यूली ने उद्घाटन किया। डा. पैन्यूली ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होने के कारण भारत की दो तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। इस दिशा में पौष्टिक एवं औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम उत्पादन व्यवसाय खेती के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे प्रशिक्षण के उपरान्त व्यक्तिगत आधार पर मशरूम उत्पादन करने के स्थान पर एक समूह के रूप में कार्य करते हुए मशरूम का उत्पादन करें, जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ उनका विपणन भी अच्छी तरह हो सकेगा। जनसंचार संस्थान के सहायक आचार्य डा. उमेश कुमार ने कहा कि पर्यावरणीय विषमताओं के कारण हम जैविक खेती से उत्पन्न फसलों एवं भोज्य पदार्थो पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होता जा रह है। बी.यू. के वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डा. राजेश कुमार पाण्डेय ने मशरूम के विभिन्न उपयोगों, गुणों एवं विशेषताओ पर प्रकाश डाला और बताया कि मशरूम सेवन से मानव शरीर को विटामिन बी, विटामिन डी तथा अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। यह मधुमेह की मरीजों के लिए इंसुलिन निर्माण तथा फाइबर की अधिकता प्रदान करता है। हृदयरोगियों के लिए भ मशरूम का सेवन लाभकारी होता है क्योंकि पोटेशियम की अधिकता के साथ साथ वसा और कार्बोहाइड्रेट व सोडियम कम होता है। वर्तमान में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर, खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलनएग्री क्लिनिक एंड एग्री बिजनेस सेंटर, आगरा तथा कृषि विज्ञान केंद्र, भरारी झांसी द्वारा उनके प्रशिक्षण एवं उत्पादन केन्द्र को मशरूम उत्पादन में तकनीकी सहयोग से प्रदान किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश/उपेन्द्र-hindusthansamachar.in