आजादी के बाद पहली बार आत्मनिर्भरता के विकास पर विशेष ध्यान मीरजापुर, 05 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश का मीरजापुर अपने पीतल के बेहतरीन उत्पादों के नाते देश और दुनिया में पीतल नगरी के नाम से विख्यात है। यहां के पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार इसे एक जनपद-एक उत्पाद घोषित कर चुकी है। इससे अब पीतल नगरी के उत्पादों की चमक बढ़ेगी। एक ओर जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, वहीं स्थानीय उत्पादों के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार के द्वार खुलेंगे। प्रतिनिधि उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश संगठन मंत्री रूपेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जिसका हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में 44 फीसद की हिस्सेदारी है। प्रदेश के हर जनपद को किसी विशेष कला एवं उत्पाद के लिए जाना जाता है। हालांकि सरकारी उपेक्षा, महंगी बिजली और इन उत्पादों की मांग में कमी आने तथा प्रोत्साहन के अभाव में कई परंपरागत उद्योग अब लुप्त होने के कगार पर हैं। कारीगर पीढ़ियों से अपने आसपास उपलब्ध संसाधन से कोई न कोई खास उत्पाद को तैयार तो कर रहे हैं लेकिन तकनीक एवं पूंजी की कमी के चलते वह बदलते बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं। देश में ऐसे अनगिनत स्थानीय उद्योग हैं, जिनकी पहचान एक सशक्त कुटीर उद्योग के रूप में रही है। लेकिन अब हालात यह है कि जो परिवार वर्षों से इन व्यवसाय से जुड़े रहे हैं, आज उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है। ओडीओपी योजना के लागू होने के बाद कारीगरों को अपने परंपरागत उद्योगों से जुड़े रहने की एक बड़ी वजह मिल गई है। प्रदेश सरकार की योजना के तहत जनपद की प्रसिद्धि बढ़ाने वाले चुनिंदा उत्पादों को और अधिक तराशा जा रहा है, जिससे जनपदों की विशिष्टता बरकरार रहे और उससे जुड़े कारीगरों की रोजी-रोटी का स्थायी बंदोबस्त भी हो जाए। मीरजापुर के कालीन के बाद अब पीतल उद्योग को ओडीओपी योजना में शामिल किया गया है। आजादी के बाद पहली बार आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। बैंकों की कार्यशैली सबसे बड़ी बाधा शहर में छोटे-बड़े मिलाकर एक हजार कारखाने हैं। धनतेरस व दीपावली पर्व के मद्देनजर इस समय लगभग सभी कारखाने चालू हैं। ओडीओपी योजना घोषित होने से व्यापारियों ने सरकार का आभार जताया। व्यापारी रूपेश वर्मा ने कहा कि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा बैंकों की कार्यशैली है। सरकार को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अगर बैंक का सहयोग नहीं मिला तो योजना का लाभ व्यापारियों को नहीं मिल सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in