घाघरा ने फिर तरेरी आंखें, कर्नलगंज के गांव में घुसा बाढ़ का पानी,  ग्रामीण भयभीत
घाघरा ने फिर तरेरी आंखें, कर्नलगंज के गांव में घुसा बाढ़ का पानी, ग्रामीण भयभीत 
उत्तर-प्रदेश

घाघरा ने फिर तरेरी आंखें, कर्नलगंज के गांव में घुसा बाढ़ का पानी, ग्रामीण भयभीत

Raftaar Desk - P2

गोंडा, 13 अगस्त (हि.स.)। घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण अब पूरे उफान पर है। घाघरा खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर बह रही है। तरबगंज तहसील के भिखारीपुर बांध गत सप्ताह 50 मीटर कट जाने के बाद जहां किसानों की हजारों हेक्टेयर फसलें नष्ट हो गई हैं, वहीं एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। अब घाघरा की विनाशकारी लीला से कर्नलगंज के एल्गिन चरसडी बांध के अंतर्गत नकहारा गांव सहित उसके नौ मजरे के ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों पर अपना ठिकाना बनाया है। नेपाल बैराज से करीब तीन लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज शुक्रवार को जारी रहा। बांध के आस पास वाले गांव में बाढ़ के पानी का फैलाव तेजी से हो रहा है। 7 गांव बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। जिसमें ग्राम माझा रायपुर, परसावल, नेपुरा, पारा, बेहटा और कमियार यह बाराबंकी और गोंडा जिले की सीमा पर बसे गांव हैं तथा करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा गांव व उसके नौ मजरे पूरी तरह बाढ़ के पानी से डूब चुके हैं और सभी मजरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। एल्गिन चरसडी बांध बनने के बाद पहली बार आए पानी के इतने बड़े सैलाब से ग्रामीण भयभीत हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पहली बार घाघरा नदी में इतना पानी आ रहा है। इसके पूर्व घाघरा नदी का फैलाव मात्र एक किलोमीटर की परिधि में था। जो अब बढ़कर करीब 4 किलोमीटर से भी ज्यादा हो गया है। जिससे पानी का दबाव बांध एवं आसपास के गांव में कम होना चाहिए, मगर पानी का जबरदस्त सैलाब आने से घाघरा नदी 1 मीटर ऊपर पहुंच चुकी है। जिन गांवों में आज तक पानी नहीं घुसा वहां तक घाघरा के बाढ़ का पानी दस्तक दे चुका है। गोंडा और बाराबंकी जिले की सीमा पर बसी ग्राम पंचायतें कमियार, माझा रायपुर, परसावल, नैपुरा तो पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। इसके अलावा ग्राम पारा और बेहटा के अधिकांश मजरे बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा गांव सहित उसके 9 मजरे पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। जहां की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है और ग्रामीण परेशान हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों के सुविधा के लिए बाढ़ चौकी की स्थापना कर दी है। जहां राजस्व के अधिकारी और कर्मचारी कैम्प कर रहे हैं और पल-पल की सूचना अधिकारियों को दे रहे हैं। मगर ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इस संबंध में जिलाधिकारी नितिन बंसल ने बताया कि ऊपरी क्षेत्रों में नेपाल राष्ट्र में बारिश होने से जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। इस समय एल्गिन पर जो जलस्तर है वह खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर होकर बह रहा है। ऐसे में नकहरा ग्राम पंचायत एल्गिन चरसडी बंधे के अंदर पड़ता है। जहां उनके पशुओं को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शिफ्ट कराया गया है और लोगों के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें राहत किट बांटी जा रही है। पीने के पानी के लिए क्लोरीन की टैबलेट की व्यवस्था की गई है। लोगों को उसे पानी में डालकर पीने के लिए कहा गया है। उपचार के साथ उनके आवगमन के लिए नावों की व्यवस्था की कराई गई है। नावों में भी सुरक्षा का ध्यान रखा गया है। जिन नावों में कोई क्षति है उन्हें नहीं लगाए जाने के आदेश दिए गए हैं। नावों पर ट्रेंड नाविकों को ही लगाया गया है। ताकि किसी जानमाल के नुकसान से बचा जा सके। वहीं तरबगंज क्षेत्र के सकरौर भिखारी पूर तटबंध के रिंग के कार्य भी कराए जा रहे हैं। पीएसी व सिंचाई विभाग की टीम पेट्रोलिंग कर के तटबंध की निगरानी कर रही है। साथ ही तटबंध के रिंग को मजबूत बनाए रखने के लिए बोल्डर लगाने का कार्य चल रहा है। वहां बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए लोगों को सुराक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। पशुओं के चारे के साथ साथ बाढ़ पीड़ितों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/महेन्द्र/दीपक-hindusthansamachar.in