एनजीओ को गांव सभा की जमीन देने का आदेश रद्द करने को चुनौती
एनजीओ को गांव सभा की जमीन देने का आदेश रद्द करने को चुनौती 
उत्तर-प्रदेश

एनजीओ को गांव सभा की जमीन देने का आदेश रद्द करने को चुनौती

Raftaar Desk - P2

प्रयागराज, 18 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1985 में गांव सभा की जमीन एनजीओ को पट्टे पर देने के आदेश को निरस्त करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने डाक्टर बीआर अंबेडकर मल्टीपर्पज रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट एसोसिएशन की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसे जिलाधिकारी ने 20 जुलाई 85 को जमीन दी थी। जिलाधिकारी मैनपुरी ने 9 सितम्बर 20 के आदेश से आवंटन निरस्त कर गांव सभा को वापस कर दी। इसी आशय का आदेश राज्य सरकार ने भी दिया है। अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी व शशांक शेखर सिंह का कहना था कि उप्र जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार कानून की धारा 117(6) के अंतर्गत जिलाधिकारी को गांव सभा की जमीन किसी एनजीओ को देने का अधिकार नहीं है। 20 जुलाई 85 का आदेश शुरू से ही विधि विरूद्ध है। ऐसे में उसे निरस्त करने का आदेश सही है। उन्होंने कोर्ट से याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय मांगा। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in