Halal Licensed Product Banned in UP
Halal Licensed Product Banned in UP raftaar.in
उत्तर-प्रदेश

UP News: उत्तर प्रदेश में 'हलाल सर्टिफिकेशन' बैन से बवाल, जाने आखिर क्या है 'हलाल' कैसे आया योगी के निशाने पे?

उत्तर प्रदेश, रफ्तार डेस्क। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया है, जिससे उतरप्रदेश के साथ साथ पूरे देश में कई मुस्लिम नेता और अधिकतर मुस्लिम जनता अपना विरोध प्रकट कर रहे है। सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इनके फैसले नफरत से भरे होते है, इनकी सरकार की पॉलिसी नफरत वाली होती है। उन्होंने इस सरकार को मुस्लिम विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि ये हिन्दू-मुस्लिम को लड़ा रहे है। ऐसे में देश का भला नहीं होने वाला है।

क्या है हलाल का मतलब?

सौंदर्य और खाद्य पदार्थो जैसे लिपस्टिक, शैम्पू, आटा, मैदा आदि चीजों में भी हलाल शब्द का प्रयोग सोशल मीडिया में खूब चर्चा बटोर रहा था। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को पूरे प्रदेश में पूरी तरह से बंद करने का आदेश दे दिया। हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है वैध (जो इस्लाम धर्म के हिसाब से स्वीकार्य होता है ) इस्लाम में दो शब्दों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है हलाल और हराम।

क्यों करते हैं हलाल वाले प्रोडक्ट का उपयोग

अब हम एक छोटे से उदाहरण से बताएँगे कि नेल पोलिश में अलकोहल का प्रयोग होने की वजह से मुस्लिम महिलाएं इसका प्रयोग नहीं करती है। ऐसे ही कई चीजों में चर्बी का उपयोग किया जाता है। दवाइयों में भी कई ऐसे कैप्सूल होते है, जिसमे सुअर की चर्बी का उपयोग होता है। जिसे मुस्लिम उपयोग करना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे कैप्सूल में हलाल का सर्टिफिकेट देने वाली संस्था इसको ये सर्टिफिकेट दे कर इसको इनके उयोग हेतु बताती है। देश में ऐसी बहुत ही कम कंपनियां है, जो मुस्लिम, जैन आदि लोगो के लिए ऐसे प्रोडक्ट बनाती है।

कौन जारी करता है हलाल का सर्टिफिकेट?

हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए हमारे देश में कोई भी आधिकारिक सरकारी संस्था नहीं है। कुछ निजी संस्थाए है जो देश और विदेश मे हलाल के प्रोडक्ट को अपनी मान्यता देकर, प्रोडक्ट में हलाल शब्द का उपयोग करते है। यहां तक कि वे अपने सर्टिफिकेट भी जारी करते हैं। भारत में ऐसी ही एक संस्था का नाम है हलाल इंडिया है, जो अपनी वेबसाइट में दावा करती है कि वे सभी प्रोडक्ट की लैब में जांच करके ही हलाल का सर्टिफिकेट जारी करती है। जो ऑडिट से होकर गुजरती है। हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली कंपनियों का कहना है कि वे हलाल सर्टिफिकेट FSSAI का लाइसेंस प्राप्त वाली कंपनियों को जारी करती है, अगर वो उनकी शर्तो में खरा उतरते हैं तो।

उत्तर प्रदेश में हलाल प्रोडक्ट क्यों हुए बैन?

दरअसल लखनऊ में रहने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक अधिकारी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने 17 नवंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने मे एक एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमे उन्होंने हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली कंपनियों पर आरोप लगाया था कि ये कंपनियां एक विशेष समुदाय की बिक्री बढ़ाने के लिए इन सर्टिफिकेट का प्रयोग कर रही है। जिस पर योगी सरकार ने अगले ही दिन 18 नवंबर को एक्शन लेते हुए इस तरह के सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को पूरे यूपी में बैन कर दिया है। इसके बाद पुलिस ने भी चेन्नई की हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट और मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा पर गैर कानूनी तरीके से हलाल सर्टिफिकेट जारी करने का केस दर्ज कर लिया है।

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