पैगम्बर मोहम्मद को बे-औलाद कहने वालों की नस्लों का अता-पता नहीं : मौलाना काजिम मेंहदी सुलतानपुर,10 जनवरी (हि. स.)। अजाए फात्मिया के सिलसिले में रविवार को शहर के खैराबाद स्थित हुसैनी हाल में मजलिस का आयोजन मोमेनी ने शहर सुलतानपुर की ओर से किया गया। जिसको मौलाना डा. काजिम मेंहदी उरूज जौनपुरी ने खिताब (संबोधित) किया। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने पैगम्बर मोहम्मद साहब की इकलौती बेटी फात्मा जहरा के जीवन पर उन्होंने विस्तार से चर्चा किया। मौलाना ने कहा कि कुरआने करीम ने पैगम्बर की बेटी को कौसर कहा है। और उन्हीं की शान में अल्लाह ने कुरआने में सूरए कौसर कौसर को नाजिल किया है। मौलाना ने आगे कहा कि, अल्लाह ने पैगम्बर को कई बेटे दिए लेकिन उसे उठा लिया, जिसके बाद कुफ्फारे मक्का नबी को अबतर (बे औलाद) कहना शुरू कर दिया। इस बात से पैगम्बर को काफी रंज (दुःख) पहुंचा लेकिन खुलके अजीम पर फायज नबी ने उफ (चुप्पी) तक नहीं किया। इस पर अल्लाह ने अपने नबी के पास सूरए कौसर लेकर फरिश्ता जिब्रील को भेजा कि जाकर मेरे नबी से कहो कि अल्लाह ने आपको सब कुछ अता किया, आपकी नस्ल चलने वाली है और आपके दुश्मन की नस्ल खत्म हो जाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अबुजेहल, अबुलहब, अतबा, शैबा ये सब कुफ्फार की आज तक नस्ल मौजूद नहीं है। इस्लाम में औरतों की इज्जत मर्दों से कम नहीं उन्होंने आगे कहा कि मक्के के जिस समाज में पैगम्बर के आने से पूर्व बेटियां जिंदा दफना दी जाती थीं वहां उन्होंने भरे मजमें में बेटी के लिए अपनी जगह (स्थान) देकर संदेश दिया कि इस्लाम में औरतों की इज्जत मर्दों से कम नहीं है। लेकिन पैगम्बर की आंख बंद किए हुए 90 दिन भी नहीं हुए थे की उनकी उसी बेटी के घर पर मुसलमान आग और लकड़ियां लेकर आए, दरवाजे पर आग लगाया और जलता हुआ दरवाजा उनके ऊपर गिरा दिया। और इससे पहुंची तकलीफ से वो 18 बरस की उम्र में दुनिया से जख्म लेकर गई। मजलिस में हाजी शमीम हैदर, हाजी जियाउल हसनैन, मुश्ताक अली, आले मोहम्मद एडवोकेट, आलम रिजवी, शकेब कासिम, जाहिद हुसैन आदि मौजूद रहे। मजलिस का संचालन नजर नकी ने किया। पेशखानी अमन सुलतानपुरी और मुनव्वर सुलतानपुरी ने किया। ये जानकारी अजहर अब्बास ने दी। हिन्दुस्थान समाचार / दयाशंकर-hindusthansamachar.in