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उत्तर-प्रदेश

भाजपा शासन में बजट के आकार में तेजी से हो रही निरंतर वृद्धि : डा. गोयल

Raftaar Desk - P2

झांसी, 01 फरवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के शासन में बजट का आकार निरंतर तेजी से बड़ रहा है। प्रतिवर्ष 11 से 14.5 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए इस वर्ष 34.83 लाख करोड़ का यह बजट है जो कि सरकार के “न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन” के नारे के विपरीत है। बजट का बढ़ना, बैंगनार के नियम के अनुसार स्वभाविक है परंतु इसके बढ़ने की दर बहुत अधिक है। बजट की समीक्षा करते हुए यह मानना है अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक डा.अतुल गोयल का। सरकार ने पिछले वर्ष प्रत्यक्ष कर में बढ़ोत्तरी की थी,लेकिन उसे लागू न करते हुए उतने के बराबर छूट देकर लोगों को खुश किया था। इस वर्ष प्रत्यक्ष कर में बढ़ोत्तरी न करके लोगों को खुश किया है,पर पिछले वर्ष दी गई छूट को हटा करके बोझ बढ़ा दिया है। इस प्रकार यह सरकार आँकड़ों की बाजीगरी में माहिर हैं। अप्रत्क्ष करों में थोड़ी सी वृद्धी की गई है, लेकिन लगभग हर क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की गई। दूसरी तरफ हम देखते हैं कि राजकोषीय घाटे का आकार इस वर्ष 9.5 प्रतिशत रहा और अगले वर्ष भी इसे 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस प्रकार आशंका है कि अगले वर्ष वित्तीय अनिश्चितता और आरबीआई के साथ टकराहट देखने को मिल सकती है। इसका कारण है कि सरकार राजकोषीय सामंजस्य में कमी को मौद्रिक उपायों से दूर करने का दबाव डालेगी। सरकार के इस बजट में “मेक इन इंडिया” के नारे की भी हवा निकलती दिखती है क्योंकि सरकार ने शोध और उच्च शिक्षा पर खर्च में वह वृद्धि नहीं की जिसकी कि उम्मीद की जा रही थी। सरकार के स्पष्ट दृष्टिकोण की साफ कमी इस बजट में दिखाई देती है। सरकार देश में सुधार करना तो चाहती है परंतु जनमत के दबाव में वह वित्तीय अनुशासन पैदा नहीं कर पा रही,ऐसा प्रतीत होता है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in