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उत्तर-प्रदेश

करुणा,सत्य व प्रेम की प्राप्ति कराता है रामकथा श्रवण-मोरारी बापू

Raftaar Desk - P2

-कुशीनगर में नौ दिवसीय मानस-निर्वाण कथा समाप्त कुशीनगर, 31 जनवरी (हि.स.)। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में आयोजित नौ दिवसीय 'मानस-निर्वाण' कथा के अन्तिम दिन रविवार को प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि रामकथा श्रवण करने से करुणा, प्रेम और सत्य की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख और दुख दोनों सापेक्ष हैं। यदि सुख नारायण है तो दुख को भी नारायण समझा जाना चाहिए। बापू ने शिव विवाह प्रसंग के साथ बाल कांड के आगे की कथा सुनाई तो वहीं हनुमान को महाबीर व परमबुद्ध बताते हुए दसरथ निर्वाण की कथा भी सुनाई। बापू ने कहा कि व्यक्ति जिससे विशेष प्रेम करता है उसको रूठने में देर नहीं लगती है। बुद्धि की भूमिका बदलने से व्यक्ति का विचार भी बदल जाता है। बुरे लोगों के संगत से बड़े-बड़े लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। अपना सुख भोगना चाहिए लेकिन दूसरों के दु:ख का निमित्त नहीं बनना चाहिए। पत्नी को अधिक प्यार देना चाहिए लेकिन आसक्ति नहीं होनी चाहिए यानी स्त्री के मोह पाश में नहीं फंसना चाहिए। जिसे स्त्री का नयन बाण न लगे वही राम हैं। नारी का आंसू बहाकर दूसरों को वश में करना यह उनकी कुटिल कला है। आशीर्वाद और श्राप दोनों समय पर ही याद आते हैं, जो यह न समझ सके वह विवेकहीन है। किए हुए कर्मों का फल ब्रम्ह को भी भोगना पड़ता है। दशरथ निर्वाण कथा को कहते हुए बापू ने कहा कि मृत्यु के समय जिसके मुख से छह बार राम निकले उसका यश ब्रह्मांड में फैल जाता है। पिता जिसको राज दे वह उसका वारिस होता है। प्रेम में समर्पण होता है। दबाव में प्रेम हिंसक हो जाता है। कहा कि बुजुर्गों का अनादर नहीं करना चाहिए। उनका मार्ग दर्शन महत्वपूर्ण होता है। आदर करने से आयु, विद्या, यश और बल में वृद्धि होती है। साथ ही समस्याओं का निराकरण भी हो जाता है। कहा कि साधु से मैत्री करने पर किसी भी कार्य में कभी हानि नहीं होती है। पूजा व्यक्ति की नहीं बल्कि विचारों की करनी चाहिए। भाई वह है जो भगवान से मिलन करा दे। भगवान के भक्त का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कहा कि ईर्ष्या से ऐश्वर्य तो मिल सकता है लेकिन शांति नहीं मिल सकती। उन्होंने हनुमान को परमबुद्ध बताते हुए महावीर भी कहा। शिव-पार्वती कथा का प्रसंग सुनाते हुए बापू ने कहा कि राम की कथा अखंड चलती रहेगी। जब तक प्रयाग में गंगा-यमुना और सरस्वती बहती रहेगी तब तक कथा जारी रहेगी। राम का स्मरण करना, राम नाम सुनना और भजन करना रामकथा का निचोड़ है। अच्छा करने से बुरे कर्म छुप जाते हैं। राम नाम लेने से व्यक्ति धन्य हो जाता है। आरती के साथ कथा का समापन हुआ। इसके पूर्व कथा आयोजक अमर तुलस्यान के पुत्र प्रणव तुलस्यान ने मोरारी बापू सहित सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनसे प्रति वर्ष कथा का आशीर्वाद देने की मांग की। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/संजय-hindusthansamachar.in