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उत्तर-प्रदेश

जल संरक्षण के साथ आय बढ़ाने के लिए मछली पालन का उपयुक्त समय है वर्षा ऋतु : डा. आनंद स्वरुप

Raftaar Desk - P2

— कम पूंजी लगाकर अधिकतम लाभ अर्जित करने वाला व्यवसाय है मत्स्य पालन कानपुर, 19 जून (हि.स.)। मत्स्य व्यवसाय एक श्रम प्रधान व्यवसाय है। इस व्यवसाय में कम पूंजी लगाने से अच्छी आमदनी के साथ पौष्टिक आहार प्राप्त होता है, तथा जल संरक्षण भी होता है। इस व्यवसाय में बेहतर लाभ अर्जित करने के लिए वर्षा ऋतु सबसे उपयुक्त समय है। यह बातें शनिवार को मत्स्य विशेषज्ञ डज्ञ. आनंद स्वरुप श्रीवास्तव ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मत्स्य विशेषज्ञ डॉक्टर आनन्द स्वरुप श्रीवास्तव ने बताया कि वर्षा ऋतु मत्स्य पालन व्यवसाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। कोरोना लॉक डाउन के कारण हुई आर्थिक क्षति की भरपाई के लिये इस समय का यदि मत्स्य पालक सदुपयोग कर लें तो मछली पालन से अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। चूंकि अधिकांश मछलियां वर्षा ऋतु में प्रजनन करती हैं और इनके बच्चे जिन्हें हम फ्राई, या जीरा कहते है तैयार होते है। मत्स्य नर्सरी में इनका संचय कर मत्स्यअंगुलिका तैयार की जाती है। यही मत्स्य अंगुलिका का बरसात के समय संचय कर मत्स्य उत्पादन किया जाता है। यह सब कार्य वर्षा ऋतु में ही किये जाते है। मछली पालन से एक ओर जहां अच्छी आय के साथ पौष्टिक आहार प्राप्त होता है वहीं दूसरी ओर जल संचय तथा भूमिगत जल के स्तर में वृद्धि भी होती है। वैज्ञानिक विधि से बढ़ाया जा सकता है मत्स्य उत्पादन मत्स्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2018 -19 में प्रदेश में मछली का की उत्पादकता लगभग 4500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी तथा प्रदेश में उत्पादन लगभग 6,62000 मीट्रिक टन था। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से मछली उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है। किसान भाई मत्स्य पालन के साथ-साथ बत्तख, उद्यान,पशुपालन कर अतिरिक्त लाभ अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने बताया की मछली एक शक्ति वर्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ है यह खाने में सुपाच्य होती है और इसमें आवश्यक अमीनो एसिड तथा प्रोटीन भी अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें वसा, कैल्शियम व खनिज भी पाए जाते हैं जिसके कारण संतुलित आहार में मछली की विशेष उपयोगिता है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय