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उत्तर-प्रदेश

सस्ते गल्ले की दुकानों के आरक्षण शासनादेश के खिलाफ याचिका खारिज

Raftaar Desk - P2

प्रयागराज, 21 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन में ब्लॉक स्तर पर आरक्षण लागू करने के शासनादेश 5 अगस्त 11 के उपखंड ।। (1) व (2) को संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 के विपरीत करार देते हुए इसे रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि शासनादेश में साफ कहा गया है कि विकास खंड को इकाई मानकर तहसील स्तरीय समिति आरक्षण की गणना करेगी और दुकान रिक्त होने पर ही आरक्षण लागू होगा। दुकानदार का लाइसेंस रद्द नहीं किया जायेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति आर.एन तिलहरी की खंडपीठ ने कुशीनगर गुलरिया गांव के अखिलेश तिवारी की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि गुलरिया गांव की सस्ते गल्ले की दुकान आरक्षित थी। 26 जुलाई 19 को लाइसेंस निरस्त होने से दुकान खाली हुई। इसलिए सामान्य को मिलनी चाहिए। किन्तु शासनादेश के तहत यह दुकान अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित है। 29 जुलाई 19 को जारी एसडीएम के पत्र के अनुसार 92 दूकानों में से 25 एससी-एसटी व 50 ओबीसी की है। 75 दुकान आरक्षित श्रेणी की है। इसलिए गुलरिया में दुकान सामान्य वर्ग को दी जानी चाहिए। 13 नवम्बर 19 को एससी वर्ग को हुए दुकान का आवंटन रद्द किया जाय। कोर्ट ने कहा कि जिस वर्ग के लिए दुकान आरक्षित होगी खाली होने पर उसे ही आवंटित की जायेगी। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन