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उत्तर-प्रदेश

सत्य, अहिंसा और प्रेम के परस्पर विलयन से शांति और हैप्पीनेस : प्रो नीलिमा

Raftaar Desk - P2

“समकालीन समय में चरित्र का संकट“ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार प्रयागराज, 24 जून (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित “समकालीन समय में चरित्र का संकट“ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। इसमें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, बिहार की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि सत्य ही भारत के निर्माण का आधार हो सकता है। सत्य, अहिंसा और प्रेम के परस्पर विलयन से शांति और हैप्पीनेस आ सकती है। वृहस्पतिवार को आयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत का स्थान अभी भी संतोषजनक नहीं है। शिक्षा में ह्यूमन वैल्यू जोड़कर, पारिवारिक मूल्यों की तरफ रुझान बढ़ाकर, सांस्कृतिक मूल्यों की दृष्टि से सम्पन्न होकर, हम इस हैप्पीनेस इंडेक्स में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने मदर टेरेसा और गौतम बुद्ध का उदाहरण देते हुए दुनिया में शांति स्थापना के प्रयासों को भी दुनिया के चरित्र निर्माण के लिए जरूरी बताया। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो.केशरी लाल वर्मा ने कहा कि हम बचपन से जब बच्चों को सिखाते हैं कि झूठ बोलना पाप है तो धीरे-धीरे वह उनके व्यवहार का हिस्सा हो जाता है। चरित्र निर्माण का यही तरीका है। उन्होंने स्वार्थपरता के स्थान पर समाजोपयोगी बनने और आत्मनिर्भरता को जीवन मूल्य के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ज्ञान कौशल युक्त और गुणों से युक्त नागरिक की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध और आर्थिक समृद्धि के युग में चरित्र को भी समृद्ध किए जाने की आवश्यकता है। झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने इस पृथ्वी पर हम क्यों आए हैं, इसके उत्तर की तलाश की जरूरत पर प्रकाश डाला। वेबिनार के आयोजक और इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ राजेश कुमार गर्ग ने आधुनिक समय में चरित्र को सर्वाधिक रक्षणीय बताया। कहा आदर्श चरित्र के बगैर आदर्श समाज, राष्ट्र, परिवार, संस्था सबके निर्माण में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए चरित्र की यत्नपूर्वक न केवल रक्षा करनी चाहिए, बल्कि इसका निरन्तर निर्माण भी करना चाहिए और यह निर्माण सतत् ऊर्ध्वगामी हो इसका भी ध्यान रखना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गणित विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अवनीश कुमार चतुर्वेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय की संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डॉ. कौमुदी श्रीवास्तव ने किया। वेबिनार में प्रतिभागिता के लिए देश के 25 राज्यों से 1415 प्रतिभागियों के नामांकन प्राप्त हुए। जिनमें 413 फैकल्टी मेंबर, 155 शोधछात्र और शेष छात्र एवं छात्राएं मौजूद रही। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त