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उत्तर-प्रदेश

फर्रुखाबाद में मनभावन बसंत के स्वागत में पतंगों से पट गए बाजार

Raftaar Desk - P2

- सरस्वती के जन्म दिन के रुप में मनाई जाएगी बसन्त पंचमी फर्रुखाबाद,15 फरवरी (हि.स.)। मां वाणी के जन्म दिन बसंत पंचमी के जश्न में मंगलवार को आसमानी जश्न के लिए पतंगबाजी को लेकर तैयारी जोरों पर है। बाजार में इस समय योगी मोदी की पतंग आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। पंडित अशोक शास्त्री बताते हैं कि बसन्त पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा अर्चना करने का विधान है। इस दिन को सरसवती का जन्म हुआ था। बसन्त पंचमी के दिन से ही पेड़ पौधे नीद से जागते है। इसी बजह गेंहू की बाल और फूलों से सरस्वती जी का स्वागत किया जाता है। इस दिन से हाड़ कपाने वाली सर्दी हेमन्त ऋतु का अंत होता है और मन भावन बसन्त का आगमन होता है। इस मौके पर हर साल की भांति इस बार भी नगर में आसमान में लाल-नीली, हरी-पीली पतंगें लहराएंगी। जिसके लिए रंगी-बिरंगी पतंगों से सजा बाजार बसन्त की पूर्व संध्या पर ही तैयार हो गया है। पतंगों व मांझे के स्टॉल से सज गये हैं। जिसको लेकर बाजारों में बसन्ती हवाएं चलने लगी हैं।लोगों ने इस पर्व को लेकर खरीदारी शुरु कर दी है। नगर में बसंत पंचमी के दिन पतंगबाजी का बड़ा महत्व है। सुबह तड़के से ही युवा घर की अटारियों पर चढ़कर ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाकर गाने बजाना शुरु कर देंते है। दिन भर पतंगबाजी चलती है। मौसम भी सुहाना होनें लगा है। जिसके चलते इस बार पतंगबाजी का क्रेज अधिक रहेगा। बाजार में इस बार मोदी की पतंग उड़ेगी। पूर्व में तो मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, राहुल गांधी आदि सूबे के नेताओं के चित्र बनी पतंगे बाजार में उपलब्ध होतीं थी। लेकिन इस बार मोदी के विरोधियों के चित्र पतंगों से भी लगभग गायब है। नगर की कई दुकानों पर केबल मोदी के चित्र वाली पतंगे ही मिल रहीं है। बच्चों को आकर्षित कर रही मोटू-पतलू की जोड़ी बाजार में बच्चों को लुभाने के लिए मोटू-पतलू, बेन-10 और छोटा भीम जैसे कार्टून वाली पंतगें भी उपलब्ध हैं। अब कागज की पतंगों से ज्यादा प्लास्टिक की पन्नी का इस्तेमाल किया जा रहा है।इन्हें बच्चों द्वारा खूब पसंद भी किया जा रहा है। वही, दूसरी तरफ जिला प्रशासन की सख़्ती के बाद भी शहर में प्रतिबंधित मांझा खूब बिक्री हो रहा है। शहर की कई दुकानों पर इस मांझा दुकानदार ग्राहकों को दे रहें है। इस ओर अभी तक जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। पेंच लड़ाने के दौरान अपनी पतंग न कटे, इसलिए बाजार में इसकी खपत ज्यादा है। जबकि यह डोर काफी हानिकारक है। इससे पशु-पक्षियों की जान को खतरा पैदा होता है। रहे सावधान पतंग बाजी के समय हर साल बच्चों के छत से गिरने की घटनाएं सामने आती हैं। इस साल इन घटनाओं का दोहराव न हो इस बजह सभी लोग अपने बच्चों पर नजर रखें। हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रपाल-hindusthansamachar.in