BSP chief Mayawati
BSP chief Mayawati 
लखनऊ

Mission 2024: BSP प्रमुख मायावती का बड़ा ऐलान, अपने दम पर लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, 'INDIA'और NDA से किया किनारा

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी रजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। रजनीतिक पंडितों ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A और NDA के बीच कांटे की टक्कर की बात कही है। इस समय दोनों गठबंधन दलों के बीच खूब बयानबाजी का दौर चल रहा है। दोनों गठबंधन दलों द्वारा एक दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्‍यारोप लगाया जा रहा है। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आज एक बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं रहेगी। वे चार राज्यों के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव को अकेले दम पर लड़ेंगी। उन्होंने दोनों गठबंधनों को जातिवादी और पूंजीपतियों वाली पार्टी करार दिया है।

NDA व 'INDIA' गठबंधन पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ- मायावती

मायावती ने बुधवार सुबह अपने अधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल से चार ट्वीट किए। अपने पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि “एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अतः मीडिया से अपील-नो फेक न्यूज प्लीज़।“

मीडिया न फैलाए भ्रान्तियाँ

दूसरे और तीसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा कि बीएसपी, विरोधियों के जुगाड़/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनकेे गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लड़ेगी। मीडिया बार-बार भ्रान्तियाँ न फैलाए। वैसे तो बसपा से गठबंधन के लिए यहाँ सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर न मिलें तो भाजपाई। यह घोर अनुचित तथा अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसी है।

कांग्रेस व उस पार्टी के शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं पूर्व विधायक

चौथे ट्वीट में उन्होंने बसपा से निष्काषित पूर्व विधायक के संदर्भ में लिखा, “इसके अलावा, बीएसपी से निकाले जाने पर सहारनपुर के पूर्व विधायक कांग्रेस व उस पार्टी के शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं, जिससे लोगों में यह सवाल स्वाभाविक है कि उन्होंने पहले यह पार्टी छोड़ी क्यों और फिर दूसरी पार्टी में गए ही क्यों? ऐसे लोगों पर जनता कैसे भरोसा करे।”