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उत्तर-प्रदेश

शिक्षा सेवा अधिकरण को लेकर वकीलों की हड़ताल जारी

Raftaar Desk - P2

अदालती कामकाज बुरी तरह प्रभावित प्रयागराज, 24 फरवरी (हि.स.)। प्रदेश में शिक्षा सेवा अधिकरण की मुख्यपीठ गठन को लेकर पारित कानून के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने बुधवार को न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। जिसके चलते अदालती कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा। जज कुछ समय के लिए अपने अपने कोर्ट रूम में बैठे, परन्तु वकीलों की अनुपस्थिति के कारण वे भी अपने चैम्बरों में वापस चले गये। बाद में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मीटिंग कर बृहस्पतिवार को भी कार्य बहिष्कार जारी रखने का फैसला लिया है। अधिवक्ताओं का मानना है कि जहां हाईकोर्ट की प्रधानपीठ हो वहीं पर अधिकरण की पीठ होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी मद्रास हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केस में स्पष्ट कहा है कि जहां हाईकोर्ट की स्थायी पीठ हो, न्यायिक पुनरीक्षण के लिए अधिकरण की पीठ भी वहीं हो। न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने साफ कर दिया है कि स्थायी पीठ व प्रधानपीठ समानार्थी है। प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ है और लखनऊ में खंडपीठ है। ऐसे में अधिकरण की पीठ प्रयागराज में स्थापित की जाय। विधेयक में लखनऊ में तीन दिन व प्रयागराज में दो दिन अधिकरण की पीठ को काम करने की व्यवस्था की गयी है। वकीलों का कहना है कि सरकार का यह निर्णय न केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करना है वरन् प्रदेश की न्याय प्रणाली को कमजोर करने की कार्यवाही है। हाईकोर्ट के वकीलों ने राज्य सरकार पर नियमों, कानूनों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है और कहा है कि सरकार को सही कानूनी सलाह नहीं मिल पा रही है। जिससे वह कानून के खिलाफ लगातार कदम उठाती जा रही है। उन्होंने सरकार के इस फैसले को नौकरशाही से प्रभावित बताया और कहा कि इससे न्याय व्यवस्था कमजोर होगी। लोगों को न्याय के लिए लंबे समय तक अदालती चक्कर लगाने पड़ेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक