- कामदगिरि पर्वत की पंच कोसीय परिक्रमा लगा श्रद्धालुओं ने लिया साधू-संतो का आशीर्वाद चित्रकूट, 01 जनवरी (हि.स.)। नूतन आंग्ल वर्ष की पावन बेला पर देश भर से आये दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट पहुंचकर पतित पावनी माँ मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्री कामतानाथ के दर्शन-पूजन करने के पश्चात कामदगिरि पर्वत की पंच कोषीय परिक्रमा लगाकर देश की सुख एवं समृद्धि और कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना की। इसके साथ ही धर्म नगरी के साधू-संतों का भी श्रद्धालुओं ने आर्शीवाद लेकर नये वर्ष की शुरूआत की। आदि तीर्थ के रूप में समूचे विश्व में विख्यात भगवान श्रीराम की तपोभूमि धर्म नगरी चित्रकूट में नूतन वर्ष की पावन बेला पर देश भर से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। सबसे पहले लाखो श्रद्धालुओ ने माता सती अनुसूइया के तपोयोग से निकली मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद रामघाट तट पर भगवान ब्रह्मा द्वारा स्थापित भगवान शिव के प्राचीन शिव लिंग स्वामी मत्स्यगयेंद्र नाथ महाराज का जलाभिषेक किया। इसके बाद मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना को लेकर भगवान श्री कामतानाथ के दर्शन और पूजन किये। इसके बाद रामनाम संकीर्तन करते हुए कामदगिरि पर्वत की पंचकोसीय परिक्रमा लगा कर नूतन वर्ष की शुरुआत की। इसके अलावा प्रमुख मठ -मंदिरो में साधु -संतो का आशीर्वाद लेने के साथ -साथ परिक्रमा पथ पर बैठें दीन-हीनों को दान दक्षिणा देकर पुण्य लाभ अर्जित किया। नव वर्ष के उपलक्ष्य पर मनोकामनाओं के पूरक भगवान श्री कामतानाथ के मंदिर प्रमुख द्वार और पूर्वी द्वार पर फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया था । इसके साथ ही भगवान कामतानाथ जी का महाभिषेक और महाआरती का आयोजन किया गया। वही भिंड -मुरैना से आये हजारों श्रद्धालुओ द्वारा भजन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रभु श्री कामता नाथ जी की आराधना की गई। साथ ही भगवान कामतानाथ को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। मध्य प्रदेश के मुरैना से आये श्रद्धालु हर गोविन्द अग्रवाल,राकेश कुमार एवं चित्रकूट व्यापार मंडल के अध्यक्ष ओम केशरवानी ,समाजसेवी केशव शिवहरे एवं प्रेस क्लब के अध्यक्ष अशोक द्विवेदी ने बताया कि वह प्रतिवर्ष धर्म नगरी चित्रकूट से ही नये वर्ष का शुरूआत करते है। भगवान कामतानाथ का दर्शन एवं पूजन करने के बाद ही किसी नये कार्य का शुरूआत करते है। उनके अलावा देश भर से आने वाले लाखो श्रद्धालु भी नूतन वर्ष का स्वागत के लिए हर वर्ष भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट आते है। बताया कि चित्रकूट विश्व का सबसे प्रमुख धार्मिक क्षेत्र है। भगवान कामतानाथ जी के दर्शन और पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास का कहना है भगवान श्रीराम की तपोभूमि होने की वजह से चित्रकूट विश्व प्रसिद्ध तीर्थो में से एक है। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के जानकी और अनुज लक्ष्मण के साथ बनवास काल के सर्वाधिक साढ़े 11 वर्ष व्यतीत करने की वजह से धर्म नगरी चित्रकूट का समूचे विश्व में अलग ही महत्व है। इसीलिए प्रतिवर्ष आंग्ल नूतन वर्ष के उपलक्ष्य पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड समेत देश भर से दस लाख से अधिक श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचकर भगवान कामतानाथ के दर्शन और पूजन कर नये वर्ष की शुरूआत करते है।वही पूर्वी द्वार के प्रधान पुजारी प्रतुल महाराज का कहना है कि चित्रकूट आदिकाल से ऋषि मुनियो की साधना स्थली रही है। बनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम के वरदान से चित्रकूट गिरि को कामदगिरि यानि मनोकामनाओं के पूरक होने का वरदान मिला था। तभी से लाखो श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कामदगिरि पर्वत के दर्शन और परिक्रमा लगाने के लिए चित्रकूट आते है। नव वर्ष के उपलक्ष्य पर धर्म नगरी के सभी मठ-मंदिरों पर विशेष सजावट भी जाती है। वहीं, जिला प्रशासन द्वारा मेला परिक्षेत्र में तीर्थ यात्रियां की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये है। जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय ने बताया कि नव वर्ष के उपलक्ष्य पर लाखो श्रद्धालुओ के चित्रकूट आगमन की सम्भावनाओ के मद्देनजर मेला परिक्षेत्र में सुरक्षा आदि के पुख्ता इंतजाम किये गये है। इसके अलावा मन्दाकिनी के रामघाट में गोताखोरों की भी तैनाती की गई है। सभी मजिस्ट्रेटों को डियूटी में मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए है। हिन्दुस्थान समाचार /रतन-hindusthansamachar.in