- पश्चिम का सांस्कृतिक प्रदूषण, एक सुनियोजित साजिश - पश्चिम की आंधी और उसका मीठा जहर, भविष्य के लिए घातक प्रयागराज, 02 फरवरी (हि.स.)। देश में पश्चिम का सांस्कृतिक प्रदूषण फैल रहा है, जो सुनियोजित साजिश है। इसकी गम्भीरता को समझने की जरूरत है अन्यथा भावी भारत के लिए खतरनाक साबित होगा। सनातन मूल्य परम्परा को मजबूत करना आवश्यक है। यह बातें जगद्गुरु शंकराचार्य पुरी स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने मंगलवार को दांदूपुर स्थित समदरिया स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन में “भारतीय संस्कृति के शास्वत मूल्य“ विषयक कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि हमें पश्चिम की आंधी और उसके मीठे जहर को निस्तेज तथा प्रभावहीन करने के लिए अपनी सनातन मूल्य परम्परा को मजबूत करना होगा। भारतीय अवधारणा सदैव शान्ति, सह-अस्तित्व और सामाजिक सन्तुलन की रही है। जिसमें ईमानदारी, सच्चरित्रता, सेवा, साधना और नैतिकता जैसे जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य छिपे हुए हैं। उन्होंने कोरोना काल में समदरिया स्कूल की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि वैश्विक संकट के दौर में विद्यालय द्वारा किए जा रहे सामाजिक चेतना के प्रयास प्रशंसनीय हैं। स्कूल भ्रमण पर आए जगपत सिंह सिंगरौर डिग्री कॉलेज, धूमनगंज के बीएड प्रशिक्षणार्थियों ने भी अपने विचार साझा किये। अतिथियों का परिचय व स्वागत संस्थान के निदेशक डॉ.मणि शंकर द्विवेदी एवं संचालन डॉ. अम्बिका पाण्डेय तथा आभार ज्ञापन पी.के तिवारी ने किया। इस दौरान दिव्यांग बच्चों को स्वेटर, जैकेट व स्टेशनरी सामग्री भेंट की गई। इस अवसर पर डॉ.विमला मिश्रा, डॉ.सुनीता खरे, नूर मोहम्मद, डॉ.संजीव श्रीवास्तव, डॉ.अमरजीत सिंह, सुधीर द्विवेदी तथा राना मिश्र आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित-hindusthansamachar.in