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उत्तर-प्रदेश

बुन्देलखण्ड में बकरी पालन व्यवसाय की अपार संभावनाएं, कम संसाधन मे अच्छा मुनाफा - कुलपति

Raftaar Desk - P2

बांदा, 14 मार्च (हि.स.)। कृषि एवं कृषि से संबंधित विभिन्न उपक्रमों से हम एक सफल कृषि व्यवसाई बन सकते है। बकरी पालन इसमे से एक प्रमुख उपक्रम है। बकरी पालन को व्यवसायी के रूप मे अपना कर अगर अच्छा प्रबंधन किया जाये तो यह एक फायदे का व्यवसाय हो सकता है। बुन्देलखण्ड मे इस व्यवसाय की आपार संभावनाएं है। यह बाते कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.यू.एस.गौतम ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के एस.सी.एस.पी. प्लान द्वारा वित्तपोषित बकरी पालन व्यवसाय आधारित पांच दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह मे बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि सूझ—बूझ से इसे सिर्फ मुनाफा ही कमाया जा सकता है। संगठित हो कर अगर इस कार्य को किया जाये तो खेतो से ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आन्ध्रप्रदेश व उत्तर प्रदेश के कई सफल कृषक बकरी पालन को व्यवसाय के रूप मे अपनाया और अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है। इस उद्यमिता विकास कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय के कृषि प्रसार विभाग द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम के आयोजन कर्ता सहायक प्रध्यापक डा. बी.के. गुप्ता ने बताया कि इस उद्यमिता विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में कैसे विकसित किया जाये। बकरी पालन सिर्फ गरीबों और संसाधन विहीन कृषकों के लिये ही नहीं बल्कि युवाओं के लिये भी है जो इसे रोजगार के रूप में विकसित कर सके। डा. गुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम मे कुल 20 कृषक प्रशिक्षण कर रहे हैं। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मे बकरी पालन से संबंधित सभी पहलुओ पर वैज्ञानिको द्वारा सामान्य, व्यवहारिक तथा प्रायोगिक ज्ञान दिया जायेगा। इसके अलावा प्रशिक्षणार्थीयो को प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात बकरी की लघु ईकाई जिसमें बकरी व एक बकरा भी दिया जायेगा। साथ ही उन्हें कुछ आवश्यक दवाईयां और मिनरल मिक्चर भी दिये जायेगे। बकरी पालन कर रहे सफल कृषको व अन्य संस्थानो का भ्रमण भी कराया जायेगा। कार्यक्रम में कृषि प्रसार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. भानु प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यह एक लाभकारी पहल है जिसमे प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के बाद बकरी भी वितरित की जा रही है। लाभार्थी इससे अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ साथ इसे मुख्य रोजगार भी बना सकते है। वैज्ञानिक जानकारी का अभाव हमारे वैज्ञानिक पूर्ण करेंगे। डा. मिश्रा ने कहा कि सभी इस अवसर का लाभ उठाये और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इस रोजगार से जोड़ें। अधिष्ठाता कृषि प्रो. मुकुल कुमार ने बताया कि बकरी व्यवसाय से कैसे हम लाखों कमा सकते है। संगठित हो कर इसका बाजार स्वयं तैयार करे और अगर इसे साल में सिर्फ दो बार होली और बकरीद में आपूर्ति करें तो काफी लाभ हो सकता है। इस कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक डा. मानवेन्द्र सिंह व मयंक दुबे है। इस अवसर पर डा. श्याम सिंह, डा. पंकज ओझा, डा. सुभाष सिंह, डा. दीक्षा पटेल कृषि प्रसार विभाग के छात्र व कृषक उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल