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उत्तर-प्रदेश

विद्युत निगम की अधिवक्ता पैनल चयन प्रक्रिया को चुनौती

Raftaar Desk - P2

6 मार्च से होने जा रहा साक्षात्कार प्रयागराज, 04 मार्च (हि.स.)। उप्र राज्य विद्युत निगम लि द्वारा नये सिरे से अधिवक्ता पैनल गठित करने की कार्यवाही की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। प्रयागराज निवासी अधिवक्ता अनूप स्वरूप श्रीवास्तव ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के दिशा निर्देश पर बोर्ड आफ डायरेक्टर्स ने गाइडलाइंस 21 दिसम्बर 2018 को जारी किये और सारे चयन उसी गाइडलाइंस के अनुसार होने चाहिए। किन्तु पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा बनाये गए गाइडलाइंस को दरकिनार करते हुए पुनः चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्देशानुसार गठित अधिवक्ता पैनल का कार्यकाल मार्च 2022 तक है तथा 21 दिसम्बर 2018 के दिशा निर्देश से डिस्काम को अपने अधिवक्ता पैनल गठित करने का जो अधिकार दिया गया था उसे भी पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने 3 फरवरी 2021 को अपने कार्यकारी आदेश से वापस ले लिया। जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के दिशा निर्देश में किसी भी प्रकार का संशोधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ही कर सकते हैं। याची का कहना है कि राज्य विद्युत निगम के चेयरमैन को बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की 21 दिसम्बर 18 की गाइडलाइंस का उल्लंघन करने और डिस्काम के पैनल अधिवक्ता के गठन का अधिकार नहीं है। गाइडलाइंस के अनुसार गठित पावर कारपोरेशन के पैनल अधिवक्ताओं का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है। उससे पहले नया पैनल बनाना मनमानापूर्ण व उनके अधिकारों का हनन है। याचिका में 12 दिसम्बर 20 को जारी विज्ञापन को व चेयरमैन के 3 फरवरी 2021 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक