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उत्तर-प्रदेश

चैत्र नवरात्र: भक्तों ने नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना कर मांगा आशीष

Raftaar Desk - P2

कानपुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना काल में पड़े चैत्र नवरात्र में भक्तों ने तीसरे दिन भी घरों में स्थापित कलश की पूजा अर्चना कर माता चंद्रघंटा के श्री चरणों में शीश झुकाकर मांगा आशीर्वाद। तो वहीं कोरोना महामारी का असर मंदिरों में भी देखने को मिला है। जहां बीते वर्षों की अपेक्षा न के बराबर ही भक्त पहुंच रहे है। प्रसाद की दुकानों में भक्त न पहुंचने से दुकानदार भी निराश होते दिख रहे हैं। परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर के परिसर में बने माता दुर्गा मंदिर के पुजारी शीतलगिरी का कहना है कि माता दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। माता के नौ दिनों में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व माना गया है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन 'मणिपूर' चक्र में प्रविष्ट होता है। पुजारी ने बताया कि माता चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है व विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं। हमें चाहिए कि अपने मन, वचन, कर्म व काया को विहित विधि-विधान के अनुसार पूर्णतः परिशुद्ध और पवित्र करके माता चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना में तत्पर रहे। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं। हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में तृतीय दिन इसका जाप करना चाहिए। मां चन्द्रघंटा को नारंगी रंग प्रिय है। भक्त को जहां तक संभव हो, पूजा के समय सूर्य के आभा के समान रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए पुजारी ने बताया कि इस दिन सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला जिसके चेहरे पर तेज हो, को बुलाकर उनका पूजन करना चाहिए। भोजन में दही और हलवा खिलाएँ। भेंट में कलश और मंदिर की घंटी भेंट करना चाहिए। परमट मंदिर के सेवकदार गोलू पंडित का कहना है कि इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में इस बार और भी भीड़ कम हो गयी है। क्योंकि लगातार संक्रमण फैलने से लोग अपने घरों में ही पूजा अर्चना कर रहे है। वर्ना बीते समय में भक्त नवरात्र के समय माता का पूजा पाठ कराते थे। साथ ही प्रतिदिन कन्याभोज होता था। लेकिन इस कोरोना की वजह से इस तरह के अनुष्ठान आदि नहीं हो रहे है। हिन्दुस्थान समाचार/हिमांशु/मोहित