akhand-nirvicharita-is-mahaparinirvan---morari-bapu
akhand-nirvicharita-is-mahaparinirvan---morari-bapu 
उत्तर-प्रदेश

अखण्ड निर्विचारिता ही महापरिनिर्वाण है-मोरारी बापू

Raftaar Desk - P2

-बुद्धस्थली कुशीनगर में रामकथा का दूसरा दिन कुशीनगर, 24 जनवरी (हि. स.)। भगवान बुद्ध की नगरी कुशीनगर में प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की रविवार दूसरे दिन की रामकथा निर्वाण पर केंद्रित रही। कथा मंडप में भजन और चौपाइयों के साथ बापू ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस से आठ बार निर्वाण की गंध आती। कहा कि निर्विचारिता ही निर्वाण है, यानी कोई विचार नहीं। अखण्ड निर्विचारिता महापरिनिर्वाण है। तुलसीदास ने रामचरित मानस के अयोध्या कांड में पहला निर्वाण शब्द का प्रयोग हुआ है। उन्होंने निर्वाण को समाधि का दूसरा रूप बताया। स्वप्न में समाधि का आना भी निर्वाण है। प्रेम धारा में जो प्रवेश कर चुके, जिनका रसमय प्रवेश हो चुका है, तन्मय प्रवेश हो चुका है, तल्लीन हो चुका है,यह प्रेम भाव का निर्वाण है। उन्होंने कहा कि तन्त्रों मन्त्रों व सूत्रों का सहारा लेकर दूसरे को बाध्य करना हिंसा है। यह हिंसा वायुमंडल को प्रदूषित करता है। यह आध्यात्म का प्रदूषण है। बुद्ध ने कहा कि मेरी रूप, वाणी, प्रभाव, वैराग्य, साधना, त्याग, कुल, गोत्र देखकर मेरी बात मत मान लेना। मेरी कही बात का प्रयोग करना, प्रयोग पर खरा उतारना और उसे महसूस करना। तब यह बात मेरी नही तुम्हारी हो जायेगी। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि रामकथा श्रवण मंगल करता है। इसमे विनम्रता है, कल्याण है। इसकी बहुत महिमा है। वशिष्ठ वेद पुराण की कथा कहते हैं,राम एकाग्रचित्त होकर सुनते हैं। क्योंकि साधु के मुंह से साधुता बोलती है। साधुता एक विलग वस्तु है। सुंदरकांड की महिमा बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि सुंदरकांड का श्रवण से कलयुग का मैल बाहर निकल जाता है। कलयुग अनेक प्रकार के मैल से भरा हुआ है। कथा श्रवण से यह मैल दूर होता है। सुंदरकांड का श्रवण कर लिया जाए तो संसार की सभी क्रियाएं पूर्ण हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि बौद्धिक जगत में सुख व दुःख को विलग नही किया जा सकता। दोनों एक दूसरे के सापेक्ष हैं। यह एक सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा कि जगत में फायदा के साथ नुकसान जुड़ा है। जहां प्यार है नफरत है, जहाँ आना है वहां जाना है,जहां जन्म है वहां मृत्यु है। आध्यात्म संशय को दूर करता, यह सुख भवन है। महाभारत के दौरान अर्जुन को विशाद योग( डिप्रेशन) हो गया था। जिसे योगेश्वर कृष्ण ने दूर किया। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक-hindusthansamachar.in