व्यंग्यकार को समाज के शोषित और निर्बल वर्ग के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा-आफरीदी
व्यंग्यकार को समाज के शोषित और निर्बल वर्ग के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा-आफरीदी 
राजस्थान

व्यंग्यकार को समाज के शोषित और निर्बल वर्ग के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा-आफरीदी

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 22 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के तत्वावधान में फेसबुक सृजनात्मक लाइव श्रृंखला के तहत शुक्रवार को ‘हरिशंकर परसाई की प्रासंगिकता’ विषय पर वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने संवाद किया। उन्होंने कहा कि परसाईजी ने अपने समय, समाज,धर्म, राष्ट्र और राजनीति को आधार बनाकर लिखा किन्तु इन विषयों ने आज जिस रूप में विस्तार पाया है उसमें विद्रूपताओं, मूल्यहीनता, घटियापन,निम्नता,ओछापन,स्वार्थ, निकृष्टता, उद्दंडता, भयावहता, नंगापन, गुण्डापन, कमीनापन ने अपनी हदें पार कर ली हैं। ये समस्याएंं एक नयी चुनौती बनकर उभरी हैं। इसके बरक्स व्यंग्यकार को सामाजिक मूल्यहीनता, मनुष्यता के क्षरण और उसके बढ़ते जा रहे ढोंग और खोखलेपन पर गिद्ध दृष्टि रखकर अपने कर्तव्य का सही रूप में निरूपण करना होगा। व्यंग्यकार को समाज के शोषित और निर्बल वर्ग के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा। आफरीदी ने वर्तमान समय की चर्चा करते हुए कहा कि आज आर्थिक उदारवाद और बाजारवाद ने मनुष्य को अपने नुकीले पंजों में फांस लिया है। हर व्यक्ति को लील लिया है। कोई अपना जीवन अपने तरीके से जी ही नहीं सकता। अन्नदाता किसान चिंता के विमर्श से बाहर हो चुका है.शासन की चिंताएं साम्राज्यवाद और अंतहीन विस्तारवाद की तृष्णाओं से लैस है। आफरीदी ने कहा कि व्यंग्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई की प्रासंगिकता आज भी उतनी है जितनी उनके समय में थी। हिन्दुस्थान समाचार/संदीप / ईश्वर-hindusthansamachar.in