धर्म विरोधी कृत्य कर समाज को तोडऩे का काम कर रही बीटीपी - आदिवासी संत समाज
धर्म विरोधी कृत्य कर समाज को तोडऩे का काम कर रही बीटीपी - आदिवासी संत समाज  
राजस्थान

धर्म विरोधी कृत्य कर समाज को तोडऩे का काम कर रही बीटीपी - आदिवासी संत समाज

Raftaar Desk - P2

उदयपुर, 04 सितम्बर (हि.स.)। उदयपुर संभाग में भारत ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) पर जनजाति क्षेत्र में धर्म, संस्कृति व समाज विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए जनजाति समाज के सुधिजनों व संत-महंतों ने बीटीपी पर वैधानिक कार्रवाई की मांग की है। जनजाति समाज के युवा, मौतबीर आदि सरू के पूर्व सरपंच एडवोकेट हरीश मीणा, मेलड़ी माता मंदिर के महंत विरमदेव, चतुर्भुज हनुमान मंदिर के महंत इंदरदास, रामद्वारा महंत निर्गुणराम, हनुमान मंदिर महाकाल के प्रवीण शर्मा, डालू भोपा, जगन्नाथ भोपा, हीरालाल भोपा, प्रेमगिरि महाराज, नरेश कटारा आदि के नेतृत्व में शुक्रवार दोपहर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि 12 अगस्त 2020 को बीटीपी समर्थकों ने नंदिन माता मंदिर बड़ोदिया बांसवाड़ा में जय जोहार, लाल सलाम के नारे लगाते हुए मंदिर की धर्म पताका हटाकर पुजारी व भक्तों को डराया-धमकाया। इसी तरह, 26 अगस्त 2020 को हनुमान मंदिर करजी बागीदौरा बांसवाड़ा में बीटीपी समर्थकों ने मंदिर की धर्म पताका हटाकर अराजकता फैलाने वाले नारे लगाए। इसी तरह, 27 अगस्त 2020 को कसारवाड़ी सज्जनगढ़ बांसवाड़ा में बीटीपी समर्थकों ने भगवान गणपति की प्रतिमा तोडक़र उत्पात मचाया जिसमें तीन बीटीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई। इसी तरह, 30 अगस्त 2020 को सोनार माता मंदिर सलूम्बर उदयपुर में धर्म ध्वजा को हटाकर बीटीपी का झंडा लगा दिया गया व पुजारी-भक्तों के साथ मारपीट कर अराजकता फैलाई गई। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि बीटीपी समर्थक लगातार दक्षिणी राजस्थान में जनजाति संस्कृति को नुकसान पहुंचाकर समाज में आपसी वैमनस्य के साथ अन्य समाजों से भी वैमनस्यता उपजाने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया माध्यमों द्वारा अनर्गल संदेश प्रसारित कर सामाजिक सौहाद्र्र बिगाडऩे का प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि राम-राम के अभिवादन के बजाय जय जोहार बोलने के लिए धमकाया जा रहा है। विरोध करने वालों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। ज्ञापन में बीटीपी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की मांग की गई। आदिवासी समाज के मौतबीरों ने बताया कि लम्बे समय से जनजाति समाज को हिन्दू समाज से अलग करने का षड्यंत्र वामपंथी व चर्च द्वारा प्रेरित कुछ संगठन विभिन्न नामों से कर रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीटीपी उसी की योजना से राजनीतिक दल बनाकर जनजाति समाज को धर्म और संस्कृति से अलग कर आपस में वर्ग संघर्ष कराने का कुत्सित प्रयत्न कर रही है। अभी विभिन्न धार्मिक स्थानों पर बीटीपी समर्थक धर्म ध्वजाएं उतारकर जनजाति समाज को अपने मूल धर्म प्रकृति पूजा, शिव पूजा, राम पूजा से अलग करने का दबाव बना रहे हैं। इससे समस्त जनजाति संत समाज आहत और उद्वेलित है। उल्लेखनीय है कि बीटीपी द्वारा आदिवासी संस्कृति विरोधी इन गतिविधियों से पूरा जनजाति समाज आहत है और वह बीटीपी के खिलाफ एकजुट हो रहा है। दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के हर जिले में बीटीपी का विरोध शुरू हो चुका है। आगामी 13 सितम्बर को प्रतापगढ़ जिले में गौतमेश्वर के पास सुहागपुरा में भील-मीणा समुदाय की महापंचायत आहूत की गई है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर-hindusthansamachar.in