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राजस्थान

एडीबी से ऋण लेते समय ने सरकार शर्तों पर इंटीग्रेटेड एप्रोच के साथ निर्णय ले- विधानसभा अध्यक्ष

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 05 मार्च(हि.स.)। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी एशियन डवलपमेंट बैंक से ऋण लेते समय ने राज्य सरकार उसकी शर्तों पर इंटीग्रेटेड एप्रोच के साथ निर्णय ले, ताकि नगर पालिकाओं पर अनावश्यक भार नहीं पडे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट्स में बैंक की शर्ते नहीं मानने पर केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन अंततः उन्हें सरकार की शर्ते माननी पड़ी। ब्यावर में सीवरेज कार्य के दौरान खोदी गई सड़कों की मरम्मत को लेकर स्वायत्त शासन मंत्री से पूछे गए सवाल पर हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विभाग को एग्रीमेंट के समय यह प्रोविजन डालना चाहिए कि सड़क की मरम्मत संवेदक द्वारा ही की जाए ताकि सीवरेज के काम में राज्य सरकार द्वारा जो राशि खर्च होती है, उसका पूरा सदुपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि नगरपालिका के पास पैसे की कमी के कारण सड़क मरम्मत का काम नहीं हो पाता और आम जन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि सीवरेज के कार्य में जेसीबी से खुदाई के कारण आस-पास की सड़क भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। आम जन को आवागमन में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए विभाग को इंटीग्रेटेड एप्रोच के साथ निर्णय लेने चाहिए। इससे पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि ब्यावर में सीवरेज कार्य के दौरान खोदी गई सड़कों की मरम्मत के लिए नगरपालिका द्वारा टेण्डर जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि एग्रीमेंट के तहत संवेदक द्वारा उतनी ही चौडाई की सड़क की मरम्मत की जाती है, जितनी सीवरेज लाइन के लिए खोदी गई थी। उन्होंने बताया कि शेष सड़क की मरम्मत का कार्य करने की जिम्मेदारी नगर परिषद या नगरपालिका की होती है। विधायक शंकर सिंह रावत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में धारीवाल ने कहा कि ब्यावर में सीवर लाइन के लिए सड़क के बीचों-बीच खुदाई करने से मलबे के कारण दोनों तरफ की सड़क भी टूट-फूट गई है। नगर परिषद द्वारा शीघ्र ही सड़क की मरम्मत करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सीवर लाइन डालने के प्रोजेक्ट अधिकतर आरयूआईडीपी के माध्यम से करवाये जाते हैं। आरयूआईडीपी द्वारा यह प्रोजेक्ट्स एडीबी में जाते हैं। एडीबी से मंजूर होने के बाद उन्हीं की शर्तों के अनुसार कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस तरह की योजनाएं शुरू करने से पहले ही उस क्षेत्र की स्थानीय निकाय से मरम्मत के कार्य के लिए स्वीकृति ले ली जाती है। हिन्दुस्थान समाचार/संदीप / ईश्वर