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राजस्थान

विलुप्त होती जा रही संस्कृति के सरंक्षण के लिए बनेगा ट्राईबल म्यूजियम

Raftaar Desk - P2

बांसवाड़ा, 17 अप्रैल( हि.स.)। जनजाति क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, खान पान, रहन सहन, खेती आदि को संरक्षित करने के उद्देश्य से गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर से जनजाति संग्रहालय के निर्माण की कार्य योजना तैयार की गई है। कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ने बताया कि जनजाति अंचल के रीति रिवाजों के साथ ही पूरी संस्कृति में ऐसे अनेक तथ्य है, जिनका संवर्धन कर जन मानस के समक्ष प्रस्तुत करने में यह संग्रहालय अहम साबित होगा। साथ ही जनजाति भाषा, रहन सहन, रीति रिवाज, कला, कृषि, पहनावा, चित्र कला, संस्कृति, परंपरा, हस्तशिल्प को सहजने और संवर्धन के प्रयास पर भी मंथन किया जा रहा है। इस संग्रहालय को मूर्त रूप देने की कवायद भी तेज हो गई है। गोविंद गुरु जनजाति विश्वविधालय बांसवाड़ा की ओर से ट्राइबल म्युजियम् के लिए 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें मिट्टी, बांस एवं लकड़ी से निर्मित वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला में कलाकार चन्दा डामोर, खेमराज डिंडोर, आशीष गणावा एवं उनकी पूरी टीम ने मिट्टी ,लकड़ी से आदिवासी भील संस्कृति में इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन एवं उपकरणों को बनाया एवं सिखाया। विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही विधिवत रूप से संग्रहालय की शुरुआत की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/सुभाष/संदीप