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राजस्थान

एकलपीठ का आदेश रद्द, पूर्व में जारी परिणाम के तहत होगी आरएएस भर्ती

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 02 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाइकोर्ट की खंडपीठ ने आरएएस भर्ती-2018 का रास्ता साफ करते हुए मुख्य परीक्षा का परिणाम पुन: जारी करने के संंबंध में दिए एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही खंडपीठ ने आरपीएससी को कहा है की वह मुख्य परीक्षा का पूर्व में निकाले गए वर्गवार परिणाम के आधार पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करे। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और आरपीएससी की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए दिए। अपील में कहा गया कि एकलपीठ के आदेश की पालना में पदों के मुकाबले दो गुणा अभ्यर्थियों को बुलाने पर साक्षात्कार के लिए करीब सात सौ उम्मीदवार अधिक बुलाने पडेंगे। जिससे साक्षात्कार की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। इसके अलावा भर्ती का परिणाम नियमानुसार ही जारी किया गया है। इसलिए एकलपीठ के आदेश को रद्द कर साक्षात्कार की अनुमति दी जाए। इसका विरोध करते हुए एकलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता रहे अभ्यर्थियों की ओर से कहा गया की आरएएस भर्ती नियम के तहत आरपीएससी को सिर्फ न्यूनतम अंक तय करने की ही शक्ति है, जो कि सभी वर्गो के लिए समान होनी चाहिए। इसके विपरीत आयोग ने वर्गवार अलग-अलग कट ऑफ जारी कर साक्षात्कार में पदों के मुकाबले केवल डेढ़ गुणा अभ्यर्थियों को ही बुलाया है। जबकि साक्षात्कार के लिए कम से कम दो गुणा अभ्यर्थियों को बुलाया जाना चाहिए था। इसके अलावा आयोग ने मुख्य परीक्षा का परिणाम गत 9 जून के संशोधित नियमों के तहत जारी किया है। जबकि वर्ष 2018 की भर्ती में यह संशोधित नियम लागू ही नहीं होते हैं। साक्षात्कार के लिए अलग-अलग वर्गवार अभ्यर्थियों को बुलाने से वे उम्मीदवार चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए, जो समग्र सूची जारी होने पर साक्षात्कार के लिए पात्र होते। ऐसे में एकलपीठ का मुख्य परीक्षा के परिणाम को रद्द कर साक्षात्कार के लिए कम से कम दोगुना अभ्यर्थियों को बुलाने के साथ ही एक सामान्य कट ऑफ जारी करने का आदेश सही है। गौरतलब है कि एकलपीठ ने कविता गोदारा व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 17 दिसंबर को आदेश जारी कर भर्ती की मुख्य परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया था। इसके साथ ही साक्षात्कार में पदों के मुकाबले कम से कम दो गुणा अभ्यर्थियों को बुलाने व एक सामान्य कट ऑफ जारी करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश को राज्य सरकार व अन्य की ओर से खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर