मिलिए 55 साल के मोहन से जिसने 20 लोगों को दी जिंदगी
मिलिए 55 साल के मोहन से जिसने 20 लोगों को दी जिंदगी मिलिए 55 साल के मोहन से जिसने 20 लोगों को दी जिंदगी
राजस्थान

मौत के मुंह से जिंदगी को खींच लाते हैं मोहन, अब तक 20 से ज्यादा लोगों को दे चुके हैं नया जीवन

अलवर, एजेंसी। कहते हैं मरने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। इसको चरितार्थ कर रहे हैं हजूरी गेट निवासी 55 वर्षीय मोहनलाल जैमन। जैमन को सागर जलाशय की निगरानी में नगर परिषद की ओर से तैनात कर रखा है। वह अब तक एक साल में करीब 20 लोगों को सागर में कूदकर आत्महत्या करने से बचा चुके हैं। मोहन का दावा है कि सागर में कूदकर आत्महत्या करने वाले लोगों को तुरंत पकड़कर समझाइश कर उन्हें वापस भेज दिया जाता है। जो लोग नहीं मानते उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया जाता है।

इनका मिलता है सहयोग

इस कार्य को करने में मुझे मुसी महारानी के छतरी में तैनात गार्ड मुकेश और विनोद के अलावा मौजूद लोगों का भी सहयोग रहता है। दो शिफ्ट में सागर की निगरानी होती है। जैमन को तैरना भी आता है। वह जिला स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं में सम्मानित भी हो चुके हैं।

लगातार बढ़ रही थी आत्महत्या करने वालों की संख्या

गौरतलब है कि एक साल पहले तक सागर में कूदकर आत्महत्या करने की खबरें लगातार देखने को मिलती थी। शहर में आत्महत्या का केंद्र सागर बन गया था। जिसके बाद नगर परिषद की ओर से सागर पर निगरानी के लिए कर्मचारी तैनात कर दिए गए। सुबह और रात दोनों समय सागर पर आने वालों की निगरानी होती है।

उनकी जुबानी सुने लोगों को बचाने के मामले

एक लड़की की शादी घरवाले नहीं कर रहे थे। परेशान होकर वह सागर में कूदने आ गई। छतरी पर चप्पल खोलकर कूदने ही वाली थी, तभी उन्होंने देख लिया तो गार्ड ने उसे बातों में लगाया और मोहनलाल ने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया। फिर समझाइश कर वापस भेजा। होली के दिन दो भाई भागते हुए सागर पर आ गए। देखते ही देखते एक भाई सागर में कूद गया दूसरा भाई बचाने के लिए चिल्लाने लगा। तभी उन्होंने रस्सी के सहारे उस युवक को पानी से बाहर निकाला और जान बचाई।

प्रेम प्रसंग के चलते एक लड़की सागर कूदने आ गई। फोन पर बात करती हुई कह रही थी कि तुम आ रहे हो या में सागर में कूद जाऊं, उसकी बातें सुनकर तुरंत उसे पकड़ लिया और समझाइश कर वापस घर भेज दिया। ऐसे ही एक मामले में एक दिन एक नवविवाहित ग्रह क्लेश के चलते सागर में कूदने के लिए आ गई। जैसे ही मैंने देखा भागकर उसे छतरी पर जाने से रोका। तो उसने अपनी परेशानी बताई फिर समझा बुझा के वापस भेजा।

बचाने के लिए नहीं है संसाधन

नगर परिषद की ओर से सागर में कूदकर आत्महत्या करने वालों को रोकने की निगरानी के लिए कर्मचारी तो लगा दिए लेकिन संसाधन के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं है। जो समय पर मिल जाए उसी का प्रयोग कर यह जान बचाने का प्रयास करते हैं। जैमन ने बताया कि आजकल लोगों में धैर्य नहीं रहा। जरा सी परेशानी आते ही जीवन खत्म करने की सोच बैठते है। युवा ही नहीं युवती, महिला और वृद्ध तक आ जाते है। अच्छी बात यही है कि उन्हें घर परिवार की तरह समझाइश कर वापस भेज दिया जाता है। कोई नही मानता तो इसकी सूचना पुलिस और नगर परिषद को दी जाती है।