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राजस्थान

कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है कंगारु मदर केयर थैरेपी

Raftaar Desk - P2

बांसवाड़ा, 06 अप्रैल (हि.स.)। जनजाति जिले बांसवाड़ा जिले में कंगारू मदर केयर थैरेपी किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है। यह थैरेपी यहां के नवजात शिशुओं के लिए नया जीवन देने वाली इसलिए साबित हो रही है कि उनको जन्म देने वाली माताओं का गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन बहुत कम होने के कारण वह कुपोषित बच्चों को जन्म दे रही हैं। इसके कारण जन्म के बाद नवजात शिशुओं को कंगारु मदर केयर थैरेपी के माध्यम से बचाने की कवायद की जा रही है। महात्मा गांधी चिकित्सालय की केएमसी यूनिट में रोजाना दो दर्जन से अधिक शिशुओं को कंगारु मदर केयर थैरेपी दी जा रही है। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजन चरपोटा ने बताया कि नवजात कुपोषित शिशुओं को बचाने के लिए उनको उनकी मां के शरीर से लगाकर रोजाना करीब 6 घण्टे तक एक विशेष प्रकार के जैकेट में रखा जाता है। इससे दोनों में शरीरिक और मानसिक रूप से जुड़ाव होता है और वह धीरे धीरे ठीक होने लगता है। शिशु के साथ ही मां को भी इसका लाभ होता है। इस थैरेपी से स्तनपान, दूध उत्पादन में वृद्धि और स्तन कैंसर से बचने में सहयोग मिलता है। उल्लेखनीय है कि जनजाति जिले बांसवाड़ा में गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार होती हैं इससे नवजात भी कुपोषित पैदा होते हैं। कई ऐसे प्रकरण सामने आए हैं कि जिसमें गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन 2 से 3 ग्राम ही पाया गया है। जिससे जच्चा बच्चा दोनों की जान मुश्किल में रहती है। ऐसे में कंगारु मदर केयर थैरेपी के बूते अब तक सैकड़ों बच्चों की जान को बचाया जा सका है। हिंदुस्थान समाचार/सुभाष/ ईश्वर