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राजस्थान

कोरोनाकाल में खाद्य पदार्थों के दामों में हुई बढ़ोतरी

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 20 जून (हि.स.)। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते काम-धंधे ठप रहे। लोगों की आजीविका पर असर पड़ा, लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई ने आमजन के घरों का बजट बिगाड़ दिया है। आम आदमी की हालत आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली हो गई है। खाद्य सामग्री से लेकर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी ने आमजन की जेब पर असर दिखाया है। कोरोना की दूसरी लहर ने समाज के हर तबका प्रभावित हुआ है। खाद्य सामग्री के बढ़ते दामों ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया। दुकानदारों की अपनी पीड़ा है। उनका तर्क है कि आगे से उन्हें जो भाव मिल रहा है, उसी के हिसाब से दाम तय हो रहे हैं। हालत यह हैं कि रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों ने आमजन की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। महामारी, लॉकडाउन और काम-धंधे चौपट होने के बीच लगातार बढ़ती महंगाई और खाद्य तेलों के बढ़ते दामों ने मध्यमवर्गीय लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर डाला है। तेल की कीमतों में 70 से 80 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। आटा भी 5-7 रुपये किलो महंगा बिक रहा है। दालों की कीमतों में भी इस दौर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एक साल पहले सरसों का तेल 130 रुपये लीटर था, जो अब 200 रुपये लीटर बिक रहा है। रिफाइंड तेल 105 रुपये प्रति लीटर से 170 रुपये लीटर तक पहुंच गया है। सूरजमुखी का तेल भी एक साल में 130 से 180 रुपये लीटर पहुंच गया है। इस साल खाद्य वस्तुओं के दाम में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जनवरी में आटा 25 रुपये किलो था, जो अब 32 रुपये किलो बिक रहा है। चना 68 से बढक़र 75 रुपये प्रति किलो, अरहर 100 से बढक़र 125 रुपये प्रति किलो, उड़द का दाम 105 से बढक़र 120 रुपये किलो पहुंच गया है। संक्रमण की दूसरी लहर के चलते बाजार में सख्ती बढऩे से भी जरूरी वस्तुओं के दाम पर असर पड़ा है। शक्कर बीते दो महीनों में 36 रुपये से बढक़र 40 रुपये किलो, चाय पत्ती 240 रुपये से बढक़र 300 रुपये किलो, चावल 20-30 रुपये किलो से बढक़र 30-45 रुपये किलो, गुड़ 40 रुपये से बढक़र 50 रुपये किलो, चना दाल 60 से बढक़र 75 रुपये किलो, तुअर दाल 100 रुपये से बढक़र 115 रुपये किलो, उड़द दाल 95 रुपये से बढक़र 110 रुपये किलो, मिर्ची 170 से बढक़र 200 रुपये किलो और काबुली चने 100 से बढक़र 125 रुपये किलो हो गए हैं। इसके अलावा साबू दाना, नमकीन, फल और सब्जी के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर हुआ है। बढ़ती महंगाई के बीच व्यापारियों की भी अपनी पीड़ा है। कोरोनाकाल में पहले से ही व्यापार चौपट था, इस बीच लॉकडाउन के कारण उनकी भी हालत पतली हो गई है। व्यापारियों का कहना है कि मुनाफाखोरी और कालाबाजारी नहीं हो रही है, लेकिन अगर हमें आगे से ही माल महंगा मिलेगा तो हम क्या कर सकते हैं? पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों ने आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाला है। लगातार बढ़ रही महंगाई में भी इनकी बढ़ती कीमतों का अहम योगदान माना जा रहा है। वर्तमान में पेट्रोल 100 रुपये लीटर पार है। डीजल भी 95 रुपये लीटर पहुंच गया है। इसके चलते परिवहन शुल्क बढ़ा है। जोधपुर संभाग में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ से जुड़े राधेश्याम अग्रवाल कहते हैं कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और माल भाड़ा बढऩे का असर भी जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है। लॉकडाउन के चलते सप्लाई चेन भी टूटी है। इसके चलते आपूर्ति की तुलना में मांग बढऩे से भी कीमतों पर असर हुआ है। कोरोना संकट के बीच कई उद्योगों को मजदूरों के पलायन की समस्या का भी सामना करना पड़ा है। ऐसे में फैक्ट्रियां तो चालू हैं, लेकिन मजदूर कम होने से उत्पादन पर भी असर पड़ा है। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना संकट के इस दौरे में काम-धंधे बंद होने और नौकरियों पर संकट होने के साथ ही आमजन की आजीविका प्रभावित हुई है। ऐसी हालत में जरूरी वस्तुओं के दाम बढऩे से आमजन महामारी और महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने का दावा तो सरकार कर रही है, लेकिन महामारी के इस दौर में लगातार बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने में सरकार भी फेल साबित होती दिख रही है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर