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राजस्थान

बसंत पंचमी पर बिखरा उल्लास, मां सरस्वती की आराधना कर श्रद्धालुओं ने मांगी ज्ञान व शिक्षा

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 16 फरवरी (हि.स.)। मां सरस्वती का प्रकटोत्सव बसंत पंचमी राजधानी जयपुर समेत पूरे राजस्थान में मंगलवार को परंपरागत उल्लास के साथ मनाई गई। इस साल शुभ ग्रहों का तालमेल ठीक नहीं होने से दो माह बाद बसंत पंचमी पर ही शुभ कार्य किए जा सकेंगे। मंगलवार को अबूझ मुहूर्त में शादियों की धूम रहेगी। बसंत पंचमी पर होने वाले शादी-विवाह और मांगलिक कार्यों को लेकर बाजार में भी रौनक रही। शादियों को लेकर शहरों व आसपास के क्षेत्र के लगभग सभी मैरिज गार्डन बुक है। वहीं बैंडबाजा, घोड़ी, कैटरिंग सहित विवाह के कार्य से जुड़े लोगों ने तैयारियां कर ली है। इसके साथ ही कई नए प्रतिष्ठानों का भी उद्घाटन हुआ। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 16 फरवरी को बसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवियोग एक साथ है। मंगलकारी दिन मंगलवार भी है। इसके अलावा मकर राशि में 4 ग्रह गुरु, शनि, शुक्र तथा बुध एक साथ होंगे तथा मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे और यह सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा। इसलिए खास है बसंत पंचमी बसंत पंचमी के दिन को माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए। इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है। बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। छह माह पूरे कर चुके बच्चों को बसंत पंचमी पर चांदी की चम्मच से खीर खिलाई जाती है और अन्न खाने की शुरुआत कराई जाती है। चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन पीला वस्त्र धारण करने की परंपरा है। कलम, कॉपी, किताबों की भी पूजा प्रदेशभर में बसंत पंचमी के दिन कलम, कॉपी, किताबों की पूजा की गई। कई स्थानों पर मां सरस्वती का आह्वान कर उनकी पूजा अर्चना की गई। सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस पर्व का उत्साह सर्वाधिक रहा। घरों, प्रतिष्ठानों व कारखानों में मंगलवार प्रात:काल स्नानादि कर श्रद्धालुओं ने पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष कलश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा की। फिर मां सरस्वती की पूजा हुई। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान करा माता को श्रंगार के तहत श्वेत वस्त्र धारण कराए गए। प्रसाद के रूप में केसरिया खीर अथवा दूध से बनी मिठाईयां बांटी गई। श्वेत व पीले फूल माता को अर्पण कर विद्यार्थियों ने मां सरस्वती की पूजा की। गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान किया गया। संगीत से जुड़े व्यक्तियों ने अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना की। जनप्रतिनिधियों ने दी शुभकामनाएं बसंत पंचमी के पर्व पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल कलराज मिश्र, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संदेश में कहा कि बुद्धि और ज्ञान की प्रदात्री माता सरस्वती की उपासना के विशेष दिन बसंत पंचमी की देशवासियों को शुभकामनाएं। मां सरस्वती की कृपा आप सभी पर बनी रहे। सभी के मनोरथ पूर्ण हों। राज्यपाल कलराज मिश्र ने मां सरस्वती का वंदन करते एक अपनी एक तस्वीर साझा की और संस्कृत श्लोक के ज़रिये प्रदेशवासियों को बसंत पंचमी पर्व की शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने संदेश में प्रदेशवासियों को बसंत पंचमी की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना का यह पवित्र पर्व हमें शिक्षा के माध्यम से सदैव उन्नति के पथ पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। आशा है बसंत ऋतु सभी के जीवन में नई ऊर्जा, उमंग, उल्लास एवं उत्साह का संचार करेगी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, शिक्षा मंत्री व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने भी बसंत पंचमी पर्व पर शुभकामना दी। इसलिए मनाई जाती है बसंत पंचमी माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस है। इसे बसंत ऋतु की शुरुआत का दिन माना जाता है। यह मां सरस्वती की पूजा का पर्व है। इस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहते हैं। बसंत पंचमी को वागीश्वरी जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। वागीश्वरी देवी सरस्वती का ही एक अन्य नाम है। इस बार 16 फरवरी (मंगलवार) को पंचमी तिथि पूरा दिन और रात रहेगी। इससे अहर्निश नामक शुभ योग बन रहा है। मान्यता है कि शास्त्रीय संगीत में विख्यात वसंत राग की इसी दिन शुरुआत हुई। इस उमंग और उल्लास का राग है। ब्रह्माजी ने जब सृष्टि बनाई तब संसार में कोई उत्साह—उल्लास नहीं था। सृष्टिवासियों में हर्षोल्लास के लिए उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा सा जल जमीन पर छिडक़ा। तब सफेद कपड़े पहने, हाथ में वीणा लिए देवी सरस्वती प्रकट हुईं। देवी सरस्वती के प्रकट होने से संसार में उल्लास छा गया। संस्कृत में आनंद और उल्लास की स्थिति को बसंत कहा जाता है, इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाने लगा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर-hindusthansamachar.in