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राजस्थान

शिला माता मंदिर में पहले दीया, फिर पूजा-अर्चना बंद, अब शिला पर चादर चढ़ा शुक्रवार को हिन्दू श्रद्धालुओं पर लगा दी पाबंदी

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 05 अप्रैल (हि.स.)। तमिलनाडु के तिरुपत्तूर जिले के नटरमपल्ली तालुका स्थित एलापल्ली गांव में 14 जनवरी की रात को अम्मान मंदिर की दीवारों पर क्रिश्चियन क्रॉस सिंबल को पेंट कर चर्च का रूप देने के प्रयास के बाद अब राजस्थान में भी हिन्दू मंदिरों को मजारों में बदलने के कुत्सित षडय़ंत्र रचे जाने लगे हैं। ताजा मामला हनुमानगढ़ का हैं, जहां स्थित शिलामाता मंदिर को शीला पीर या शिला पीर के नाम से चर्चित करने का ताना-बाना बुना जा रहा है। इतिहासकारों की राय हैं कि मंदिर में स्थापित शिला महाराजा गंगासिंह के समय सरस्वती नदी की सहायक नदी घग्गर में बहकर यहां आई थी। उसके चमत्कारों के प्रति श्रद्धावनत होकर महाराजा ने उसे यहां स्थापित करवा दिया। तब से ही श्रद्धालु इस पर नमक व दूध चढ़ाकर शिला की पूजा करते आ रहे हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि शिला पर चढ़े नमक व दूध को त्वचा पर लगाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। मंदिर की इस ख्याति के कारण चर्म रोग से पीडि़त समुदाय विशेष के लोग भी यहां आने लगे और पिछले कुछ वर्षों में यह मंदिर इस्लामिक षड्यंत्र का शिकार बनने लगा है। मंदिर का पुजारी एक मुसलमान को बना दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि साजिश के तहत शिला माता मंदिर में पहले दीया प्रज्जवलित करना बंद हुआ, फिर आरती और उसके बाद लोगों को नमक व दूध चढ़ाने से भी रोका जाने लगा। कुछ समय पहले ही शिला पर हरी चादर डाल दी गई। इस तरह शिला माता को मजार का रूप दे दिया गया और शिला माता को शिला पीर या शीला पीर प्रचारित किया जाने लगा। क्षेत्रीय श्रद्धालुओं का कहना है कि पिछले कुछ समय से हिंदुओं को शुक्रवार के दिन पूजा-पाठ करने से भी रोका जाने लगा है। इसके लिए मंदिर में बैनर व पोस्टर तक लगा दिए गए है, जिसका हिंदू समाज ने खुलकर विरोध किया। विहिप व बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा और मंदिर में हिंदू पुजारी रखने की मांग करते हुए पूर्ववत पूजा-अर्चना चलते रहने की अपील की। हनुमानगढ़ टाउन के राजेश का कहना हैं कि मंदिर को मजार में बदलने के प्रयासों के बारे में पहले भी कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। इस बार ज्ञापन देने के बाद पूजा-अर्चना में किसी भी प्रकार का व्यवधान न पहुंचाए जाने के प्रशासन ने आदेश दिए हैं। पीलीबंगा के नरेश ने बताया कि कि दस वर्ष पहले वे अपनी मां को लेकर मंदिर आए थे, तब यहां दूध व नमक के साथ चूडिय़ां भी चढ़ाई जाती थीं, लेकिन इस बार वे आए तो यहां दृश्य ही अलग था। मंदिर के मुस्लिम पुजारी ने शिला खराब होने का हवाला देते हुए उन्हें नमक मंदिर के कोने में तो दूध बाल्टी में डालने के निर्देश दिए। अब शिला माता मंदिर को मजार का रूप देने से क्षेत्र के हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाएं भडक़ी हुई हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर