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राजस्थान

सीटी स्कैन का स्कोर 17 आने के बाद भी सकारात्मक सोच से महिला ने 10 दिन में जीती कोरोना से जंग

Raftaar Desk - P2

नागौर, 15 मई (हि.स.)। कहते हैं जहां चाह होती है वहीं मंजिल होती है। इसी का उदाहरण है लोहिया की चौक में रहने वाली 35 वर्षीय कमलेश सेन। जाने-अनजाने या लापरवाही से कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव होने के बावजूद इस महिला ने सकारात्मक सोच के साथ 10 दिन में कोरोना जैसी महामारी को परास्त कर दिया। कमलेश की दिनों-दिन तबीयत खराब होने पर उन्हें 21 अप्रैल को डॉ. राजेंद्र बेड़ा को दिखाया गया। डॉक्टर ने उन्हें तुरंत जेएलएन अस्पताल में एडमिट करने की सलाह दी। भर्ती कराने के अगले दिन जब सीटी स्कैन का परिणाम 17 आया तो चिंता बढ़ गई। परिचितों द्वारा कहा गया कि इन्हें तुरंत बीकानेर या जोधपुर रेफर किया जाए। यहां इनका इलाज संभव नहीं है। इसी बीच डॉ. राजेंद्र बेड़ा, डॉ. लूणाराम डिडेल व डॉ. सुरेन्द्र भाकल और मेल नर्स वीरेंद्र चौधरी ने आश्वस्त किया कि कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। अथक प्रयासों व कमलेश सेन की जीवटता से स्वास्थ्य में शत-प्रतिशत सुधार ला देंगे। इसी बीच डॉक्टरों ने अपना इलाज शुरू किया और देखते ही देखते डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और मरीज के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। 21 अप्रैल को एडमिट होने वाली कमलेश सेन 01 मई को सकुशल अपने घर पहुंच गई। कमलेश इसका सारा श्रेय अस्पताल के डॉक्टरों, अपने अग्रजों भाभी प्रियंका परिहार और निशा व परिवार को देती है, क्योंकि उन्होंने देखभाल की और हिम्मत बंधाते गए। कमलेश का कहना है इस बीमारी में सकारात्मक सोच ही बीमारी का सबसे बड़ा इलाज है। बीमारी की सबसे बड़ी औषधि है। कमलेश दिन में गर्म पानी, गरम नींबू पानी, काढ़े का सेवन करती थी। नारियल पानी, पौष्टिक आहार और खट्टे फलों का सेवन भी काफी कारगर रहा। कमलेश ने स्वस्थ होने पर अस्पताल को एक टेबल पंखा भी भेंट दिया। कमलेश का कहना है कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद भी यदि तबीयत में सुधार ना हो तो डॉक्टर्स पर पूरा भरोसा रखे। मरीज के भाई नवीन परिहार उन्हें रोजाना सकरात्मक खबरें सुनाते गए, इसका भी उन्हें बहुत फायदा मिला। इसके साथ ही मरीज को दी गई प्रोनिंग एक्सरसाइज भी बहुत कारगर रही। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर