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राजस्थान

संविधान की मूल भावना को आत्मसात करें: मुख्यमंत्री

Raftaar Desk - P2

जयपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महापुरूषों की जयन्ती मनाते हुए हमें उनके विचारों को अपनाना चाहिए। देश में जैसी परिस्थितियां आज हैं, ऐसे में हमें बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए समाज में समरसता कायम करने की ज़रूरत है। गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अम्बेडकर जयन्ती पर आयोजित ‘सर्व समाज की भूमिका शांतिपूर्ण प्रदेश के लिए‘ विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में झगड़े होते हैं, वहां सुख-शांति कायम नहीं हो सकती। यही बात हमारे समाज, प्रदेश एवं देश पर भी लागू होती है। आज समाज को विघटित करने वाली भाषा प्रयोग में लाई जा रही है, लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इससे समाज के विभिन्न वर्गों में वैमनस्य कायम हो रहा है। धर्म निपेक्षता की मूल भावना को भुला दिया गया है। संवैधानिक संस्थाओं पर भारी दबाव है। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना को आत्मसात करते हुए हमें अपने व्यवहार एवं भाषा पर संयम रखने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी दक्षिण अफ्रिका में उनके साथ हुए भेद-भाव एवं अपमान का घूंट पीकर ऊंच-नीच दूर करने एवं समाज में समरसता कायम करने में जुट गए। हमारे युवाओं को भी सही राह दिखाने की आवश्यकता है। उन्हें देश के हालात पर चिंतन-मनन करने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि वे इनमें सुधार ला सकें। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में छुआछूत एवं घूंघट प्रथा मानवता पर कलंक हैं। संगोष्ठी के वक्ता गांधीवादी विचारक डॉ. एन सुब्बाराव ने कहा कि धर्म, जाति एवं क्षेत्र के आधार पर किसी तरह का विभेद नहीं हो और पूरी मानव जाति को एक परिवार की तरह माना जाए, ऐसी शिक्षा हमें हमारे बच्चों को देने की जरूरत है। उन्होंने अम्बेडकर जयन्ती पर इस कार्यक्रम के माध्यम से सर्व समाज को एक साथ लाने के प्रयास के लिए मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया। गांधीवादी विचारक एवं गांधी पीस फाउण्डेशन के पूर्व उपाध्यक्ष श्री पीवी राजगोपाल ने कहा कि समाज को तोड़ने वाली भाषा के प्रयोग का हमारी भावी पीढ़ी पर गलत असर पड़ेगा। भाषा का संतुलन एवं ज्ञान आधारित सूचना आज समाज के लिए बहुत जरूरी है। हिंसा की तुलना में हमें अहिंसा को उससे भी मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि गांधीजी विरोधी के प्रति भी नफरत की भावना रखने में विश्वास नहीं करते थे। संगोष्ठी को अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देव स्वरूप और मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। वर्ष 2020 का अम्बेडकर सामाजिक सेवा पुरस्कार कोदरलाल बुनकर को जबकि 2021 का अम्बेडकर सामाजिक सेवा पुरस्कार ए. आर. खान को दिया गया। पुरस्कार के तहत एक लाख रूपए का चैक एवं प्रतीक चिन्ह दिया गया। 50 हजार रूपए का अम्बेडकर सामाजिक न्याय पुरस्कार एडवोकेट महावीर जिन्दल को जबकि 50 हजार रूपए का अम्बेडकर महिला कल्याण पुरस्कार अरमान फाउण्डेशन की डॉ. मेनका भूपेश को दिया गया। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों से चयनित 17 प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अम्बेडकर शिक्षा पुरस्कार के तहत 51-51 हजार रूपए की राशि के चैक दिए गए। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप