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राजस्थान

सरिस्का में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए कार्ययोजना तैयार

Raftaar Desk - P2

अलवर, 12 जून (हि.स.)। कुल 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व पार्क में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए जल प्रबंधन के तहत नए ट्यूबवैल, ट्यूबवैल के लिए सोलर सिस्टम, पानी के कुंड, सहित कई कार्य किए जाएंगे। इसके लिए योजना तैयार की जा रही है। अलवर का सरिस्का देश का अकेला सबसे अलग टाइगर रिजर्व क्षेत्र है। सरिस्का में इस समय 23 बाघ-बाघिन हैं। इसके अलावा 500 से अधिक पैंथर, नीलगाय, बारहसिंघा, हिरण, भालू सहित कई अन्य वन्यजीव हैं। भीषण गर्मी के दौरान वन्यजीवों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। सरिस्का प्रशासन की तरफ से टैंकर और ट्यूबवेल की मदद से सरिस्का क्षेत्र में पानी छोड़ा जाता है, लेकिन हर साल पानी के हालात खराब ही रहते हैं। ऐसे में अब कई बड़ी कंपनियां सरिस्का में पानी की व्यवस्था करने के लिए आगे आई हैं। सरिस्का के सीसीएफ आरएन मीणा ने बताया कि सरिस्का में 10 ट्यूबवैल सोलर पैनल सहित लगाए जाएंगे। ये सभी सिस्टम पानी रिचार्ज और पानी क्रिएशन सहित डवलप किए जाएंगे, जिससे साल भर वन्यजीवों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा। सरिस्का प्रशासन इसके लिए योजना तैयार कर चुका है। जल्द ही सरिस्का में काम शुरू हो जाएगा। सरिस्का में पानी की व्यवस्था होने से वन्य जीवों को खासा फायदा होगा। पानी की तलाश में कई बार वन्यजीव जंगल छोडक़र आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं, जिसके चलते आए दिन घटनाएं होती रहती हैं। साथ ही वन्यजीवों के लोगों पर हमले और लोगों द्वारा अपनी जान बचाने के लिए वन्य जीवों पर हमले के मामले भी सामने आते रहे हैं। सरिस्का का जंगल क्षेत्र खासा बड़ा है जहां अब भी 29 गांव बसे हुए हैं। हालांकि सरिस्का प्रशासन की तरफ से सभी गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया की जा रही है। यहां लगातार बाघों का कुनबा भी बढ़ रहा है जिससे पानी की जरूरत ज्यादा बढ़ गई है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप