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महाराष्ट्र

Lok sabha Election: महाविकास आघाड़ी में सीटों के बंटवारे का विवाद खुलकर आया सामने, वंचित बहुजन आघाड़ी हुआ अलग

मुंबई, (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर महाविकास आघाड़ी में मतभेद बढ़ गया है। शिवसेना के ठाकरे गुट और वंचित बहुजन आघाड़ी ने बुधवार को लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी, जिससे सीटों के बंटवारे का विवाद खुलकर सामने आ गया है।

वंचित के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर खुद अकोला से चुनाव लड़ने जा रहे हैं

शिवसेना के ठाकरे समूह ने बुधवार को सुबह 17 लोकसभा उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की। इसके बाद वंचित बहुजन अघाड़ी ने राज्य में लोकसभा के लिए 9 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करके लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ने की घोषणा की है। वंचित के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर खुद अकोला से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि वे अलग आघाड़ी बनाकर लोकसभा चुनाव का सामना करेंगे और हर वर्ग के उम्मीदवारों को जिताने का प्रयास करेंगे। वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर बीती रात मराठा नेता मनोज जारांगे से मिले थे। साथ ही राज्य में ओबीसी बहुजन पार्टी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

पार्टी नेतृत्व को इस पर ध्यान देना चाहिए

इस बीच शिवसेना की ओर से अलग सूची जारी करने का महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दल कांग्रेस और शरद पवार की राकांपा पर भी असर पड़ा है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने शिवसेना की सूची पर ऐतराज जताते हुए कहा कि उत्तर पश्चिम मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) ने दागी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। पार्टी नेतृत्व को इस पर ध्यान देना चाहिए। संजय निरुपम ने यहां तक कहा कि अगर दस दिनों के अंदर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे अलग राह अपना सकते हैं।

इससे शरद पवार की राकांपा में तीव्र नाराजगी फैल गई है

कांग्रेस विधायक दल के नेता बाला साहेब थोरात ने कहा कि आघाड़ी में सांगली और मुंबई के बारे में अभी चर्चा हो रही थी, इसी दौरान शिवसेना ने इन सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए। यह आघाड़ी धर्म के विरुद्ध है, शिवसेना को इस पर ध्यान देना चाहिए। इसी तरह राकांपा उत्तर पूर्व संसदीय सीट पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती थी लेकिन शिवसेना (यूबीटी) ने इस सीट पर भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इससे शरद पवार की राकांपा में तीव्र नाराजगी फैल गई है। चुनाव से पहले ही महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों में उभरी नाराजगी का असर चुनाव पर पड़ने की जोरदार चर्चा होने लगी है।

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