भोपाल, 26 अक्टूबर (हि.स.)। कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा के लोग हमारे विधायकों को तोड़ रहे हैं। कांग्रेस अपना घर ही नहीं संभाल पा रही है। कांग्रेस के विधायक भाजपा में अपने क्षेत्र के विकास के लिए शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए उनका जनता से सामना करना मुश्किल हो गया है। वे चाहते हैं कि उनके क्षेत्रों का विकास हो। कमलनाथ ने चुनाव जीतने के लिए वचन तो कई दे दिए, लेकिन उनको पूरा करने में उन्हें पसीना आ गया। ये बातें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने सोमवार को सांची, सुरखी एवं बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भाजपा नीति-सिद्धांतों की पार्टी है। हमारा उद्देश्य एवं लक्ष्य जनता का विकास करना है, प्रदेश का विकास करना है। हम तोड़-फोड़ की राजनीति नहीं करते हैं। कांग्रेस की सरकार को उन्हीं के मंत्री-विधायकों ने गिराई, फिर वे भाजपा में आ गए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चैलेंज दिया कि आ जाओ सड़क पर, लेकिन ज्योतिरादित्य ने कमलनाथ को ही सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। कमलनाथ अपना घर ही संभाले तो ज्यादा बेहतर होगा। झूठ परोस रहे हैं कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कमलनाथ प्रदेश की जनता के सामने झूठ परोस रहे हैं। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी जनता को झूठे वचन दिए थे। कमलनाथ ने एक भी वचन पूरा नहीं किया। कर्जमाफी का वादा करके किसानों को और ज्यादा कर्जदार बना दिया, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं दिया। उन्होंने तो भाजपा सरकार में चलाई जनहितैषी योजनाओं को ही बंद कर दिया। यही कांग्रेस का असली चेहरा है। हर विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य चाहता है, लेकिन कमलनाथ के पास विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं था। उनके पास तो इंदौर में आईफा अवार्ड कराने के लिए पैसा था। इसके लिए 700 करोड़ का प्रावधान किया। संबल योजना के जरिए किसी गरीब की मौत पर भाजपा सरकार पांच हजार रुपये अंतिम संस्कार के लिए देती थी। किसी गरीब की मौत पर परिवार को 4 लाख रूपए की आर्थिक मदद देती थी, लेकिन उन्होंने संबल योजना को तो बंद कर दिया और नाच-गाने वालों को बुलाकर उनके साथ यहां पर फोटो खिंचवाना उन्हें अच्छा लगा। कोई नहीं छोड़ता मंत्री-विधायक का पद उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र है। यहां पर कोई ऐसे ही मंत्री-विधायकी नहीं छोड़ता, लेकिन जो मंत्री-विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं उनकी भी कुछ मजबूरियां रहीं होंगी। उनकी सबसे बड़ी मजबूरी थी कि वे अपने क्षेत्र का विकास कार्य ही नहीं करा पा रहे थे। जनता के सामने जाने लायक स्थितियां नहीं थीं, इसलिए उन्होंने विकास का रास्ता चुना और भाजपा में आकर कांग्रेस सरकार को गिराया। 15 माह की कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के कीर्तिमान स्थापित किए। वल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बनाकर रखा। जब कांग्रेस की सरकार गिरी तो मध्यप्रदेश में भी कोविड ने पैर पसार लिए थे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही जनहित में ऐतिहासिक कार्य करके यह संदेश दिया कि सरकार-सरकार में फर्क होता है। गरीबों का दर्द तो एक किसान मुख्यमंत्री ही जान सकता है विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रदेश के गरीबों, किसानों का दर्द उद्योगपति कमलनाथ क्या समझेंगे। वे तो देश के दूसरे नंबर के उद्योगपति हैं, लेकिन गरीबों का दर्द समझने का काम तो हमारे मुख्यमंत्री चौहान ने किया है। उन्होंने प्रदेश के ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे जो मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन उनके पास फीस के पैसे नहीं थे तो उनकी फीस भरवाई। बेटियों का मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के जरिए विवाह करवाया। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-प्रदेश के करोड़ों परिवारों को आशियाने दिए, पक्के मकान दिए। प्रदेश में कमलनाथ सरकार के समय दो लाख 45 हजार मकान प्रधानमंत्री आवास के आए तो इन्होंने 25 प्रतिशत मैचिंग ग्रांट नहीं मिलाई। इसके कारण 2 लाख 45 हजार लोगों को मकान नहीं मिल पाए। प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने मिलकर भ्रष्टाचार की दुकान खोली और जमकर पैसा कमाया। वे हमें गद्दार कह रहे हैं, लेकिन प्रदेश की जनता के साथ गद्दारी करने का काम तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने किया है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in