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मध्य-प्रदेश

नगरीय निकाय के चुनाव जल्द, सडक़ों की सुधर रही है हालत, बन रहे हैं सेल्फी पाइंट

Raftaar Desk - P2

गुना, 05 मार्च (हि.स.) । मिनी स्मार्ट सिटी कही जाने वाले गुना में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम विकास के एजेन्डा के अनुरूप काम करने में जुट गए हैं, जिससे शहर की जनता को सडक़ों पर उड़ रही धूल से अच्छी सडक़ बनने के बाद मुक्ति मिली। इसके अलावा सेल्फी पाइंट जैसे कई विकास कार्य हो रहे हैं लेकिन इंदौर की तर्ज पर गुना का विकास हो, यह सपना शहर की जनता का पूरा नहीं हो पा रहा है| इसकी वजह एक ही निकल कर सामने आई कि प्रदेश की सत्ता मेें गुना से जुड़े भाजपा जनप्रतिनिधियों का अच्छा खासा दबदबा है, लेकिन आपसी गुटबाजी के चलते विकास जिस गति से गुना का होना था, वह नहीं हो पा रहा है। दलगत और गुटबाजी की राजनीति से उठकर जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ नेता सपोर्ट करें तो गुना को और तेजी से विकास के पंख लग सकते हैं| प्रदेश में गुना को नम्बर वन बनाने के लिए शहर को जरूरत है विकास की।यह विकास तभी हो सकता है कि जब गुना नगर पालिका को नगर निगम बनाया जाए और म्याना को नगर पंचायत। नगर पालिका के चुनाव आ रहे हैं, इसमें नगर निगम बनाने का चुनावी वादा दोनों पार्टियां अपने-अपने एजेन्डे में शामिल करने का विचार भी कर रही हैं। आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव को देखते हुए गुना के पिछड़े होने की वजह तलाशी तो कई ऐसे कारण सामने आए कि जहां एक ओर जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान है तो वहीं दूसरी ओर शहर की यातायात व्यवस्था बिगाडऩे में सबसे बड़ा योगदान आलीशान भवन के उन मालिकों का है जो भवन में बनाए गए तलघरों का उपयोग पार्किंग में न कराकर व्यवसायिक उपयोग के लिए करा रहे हैं और वहां आने वाले वाहन सडकों पर खड़ी कराकर यातायात को बाधित करा रहे हैं। नगर निगम पिछले नगरीय निकाय के चुनाव के समय सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुना नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया जाने की घोषणा की थी, वह अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। जबकि गुना शहर नगर निगम बनने की पात्रता रखने की श्रेणी में आ गया है। इसकी वजह ये है कि आसपास के दो-तीन गांवोंं भी नगरीय क्षेत्र की सीमा में आ गए हैं। नगर निगम बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिससे शहर का विकास और तेजी से हो सकता है। कुपोषण महिला एवं बाल विकास कुपोषण के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी गुना में पंाच हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। मध्यान्ह भोजन की राशि डकारने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की फर्जी संंख्या दर्ज हुई देखी जा सकती है। कुछ वर्ष पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुपोषित बच्चे और टीबी से ग्रस्त बच्चों को गोद लेने का समाजसेवी संस्थाओं से आव्हान किया था। कलेक्टर कुमार पुुरुषोत्तम द्वारा शुरू कराए गए नवजीवन अभियान से कुपोषित बच्चों की संख्या कम हुई है। शहर के लेागों के अनुसार यदि समाजसेवी और अधिकारी कुपोषित बच्चों को गोद लेने में आगे आएं तो कुपोषित बच्चों की और संख्या कम हो सकती है। पेयजल पेयजल समस्या के निदान के लिए परिवहन करने, नलकूप खनन कराने आदि के निर्देश कलेक्टर और संबंधित विभाग को दिए हैं। सिंध, चौपेट नदी और गोपालपुरा तालाब पूरी तरह सूख गया है। हैण्डपम्प बंद हो गए हैं, नलकूपों ने भू-जल स्तर गिर जाने से पानी देना बंद कर दिया है। बिजली के अभाव में नल-जल योजना बंद पड़ी हुई है। शहर और ग्रामीण में टैंकरों के जरिए पानी सप्लाई की जा रही है। कई जगह तो पानी एक से दो किलोमीटर दूर से ढोकर लाया जा रहा है। कई जगह नल-जल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं, जिनकी जांच हो जाए तो लाखों के घोटाले उजागर हो सकते हैं। अवैध कालोनियां शहर और जिले भर में जमीन का कारोबार किसी न किसी दल से जुड़े हैं। इसका परिणाम ये है कि कुछ जमीन कारोबारियों ने शासकीय जमीन पर कॉलोनियां काट दी हैं,जिन पर मकान तक तन गए हैं। कॉलोनाइजर उन कॉलोनियों के विकास के लिए एक रुपया भी देने को तैयार नहीं हैं। इन कॉलोनियों का निर्माण कराने वालों ने पार्क की भूमि तक बेच दी, न यहां सडक़ है और न पीने के पानी की सुविधा। कलेक्टर की पहल पर पैसे देने के बाद प्लॉट का कब्जा न मिलने वालों के लिए शिविर लगाए थे, जिनमें 15 से अधिक कॉलोनाइजरों के नाम आए हैं, जो अपने आपको एफआईआर से बचने की जुगत में लगकर राजनेताओं की शरण में चले गए हैं। इन पर भी डालें नजर -गरीबों के राशन की जमकर कालाबाजारी हो रही है, उनका राशन बाजारों में बेचकर राशन डीलर मालामाल हो रहे हैं। वीपीएल सूची में ऐसे लोग शामिल हैं जो उस पात्रता सूची में नहीं आतेे हैं। राशन डीलर अधिकतर भाजपा से जुड़े नेता हैं, जिससे उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। - गुना जिला अस्पताल में मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह लडखड़ा गई हैं। प्रसूति के लिए आने वाली महिलाओं से पैसा तक वसूला जा रहा है। डाक्टरों के आने का कोई समय नहीं हैं। पीएससी केवल नाम-मात्र के बने हुए हैं। यहां चिकित्सा का कोई इंतजाम नहीं हैं। -ओडीएफ के नाम पर जिला पंचायत का दावा है कि 90 प्रतिशत काम हो गया, लेकिन धरातल पर आधा भी नहीं हुआ है। करोड़ों की चपत दरवाजे खरीदी आदि में की है। इसकी पुन: जांच हो जाए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। -मौत के रूप में खटारा और बगैर परमिट व फिटनेस के सडकों पर बसें दौड़ रही हैं। -मास्टर प्लान में जो जमीन ग्रीन बेल्ट के लिए छोड़ी गई थी, वहां आलीशान भवन बन गए जिनको रोकने का साहस न तो नगर पालिका कर पाई और न ही टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग। -अवैध उत्खनन के मामले में गुना को नम्बर वन कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। -मैरिज गार्डन बगैर अनुमति के और बगैर पार्किंग के चल रहे हैं। - जिले में एक सैकड़ा से अधिक ऐसे शासकीय विद्यालय हैं जहां कमरों की संख्या कम होने से एक कमरे में दो-दो कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाना पढ़ रहा है। मध्यान्ह भोजन के नाम पर उन बच्चों का जमकर शोषण किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक