अनूपपुर, 23 जून (हि.स.)। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के प्रतिबंध की समाप्ति के बाद अब जिले के पांचों एनआरसी केन्द्रों फिर से कुपोषित नौनिहालों के लिए खोल दिए गए हैं। जहां कुपोषित बच्चों को पोषित करते हुए आगामी कोरोना के तीसरी लहर के संक्रमण से बचाया जा सके। लेकिन कुपोषित बच्चों के प्रति मैदानी अमला की सक्रियता गम्भीर नहीं दिख रही है। जिसके कारण जिले के अनलॉक हुए 20 दिनों के बाद भी संचालित पांच केन्द्रों पर लगभग 50 प्रतिशत नौनिहालों की उपस्थिति सम्भव हो सकी है। इन पांच सेंटरों पर अब भी आधे से अधिक बिस्तर खाली पड़े हैं। इनमें कोतमा और जैतहरी जैसे महत्वपूर्ण एनआरसी केन्द्रों पर सबसे कम बच्चे भर्ती कराए गए हैं। जानकारों का मानना है कि नौनिहालों को एनआरसी केन्द्रों पर भेजने की यही स्थिति बनी रही तो अधिकांश बच्चें पोषण से वंचित रह जाएंगे। जिले में वर्तमान में 5676 कुपोषित तथा 616 अति कुपोषित नौनिहाल हैं। लेकिन कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने में महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य अमला लापरवाही बरत रहा है। इससे पूर्व भी मार्च माह के दौरान बच्चों की संख्या मात्र 67 हुई थी। जबकि इन पूरे सेंटर पर माहभर के दौरान लगभग 140 बच्चों की भर्ती किया जा सकता था। इससे पूर्व कलेक्टर ने एनआरसी केन्द्रों पर बच्चों की कमी और नौनिहालों की मौत मामले में महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वे मैदानी अमले को क्षेत्रों में भेजकर गर्भवती महिलाओं के चिह्नांकन के साथ कुपोषित बच्चों की भी जानकारी जुटाएं। और गम्भीर बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र पर भेजने की व्यवस्था करें। इसके लिए एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता को अपने अपने क्षेत्र के गांवों में घर घर पहुंचकर जिम्मेदारी पूरी करने के निर्देश दिए गए थे। दो माह तक सेंटर पर पसरी थी वीरानी विभागीय जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण जिले के पांचों सेंटर अप्रैल और मई माह के दौरान बंद रहे। यहां किसी भी बच्चों को भर्ती नहीं कराया। लेकिन विभागीय अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए थे कि मैदानी अमला घर घर दस्तक देकर कुपोषित बच्चों को पोषण आहार के वितरण के साथ उसके स्वास्थ्यों की जांच करेगी। गम्भीर बच्चों को सेंटर भेजने की बजाय स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाए। जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं मिलने पर अनलॉक के उपरांत शहडोल संभागायुक्त ने महिला बाल विकास विभाग को नोटिस जारी करते हुए कुपोषित बच्चों को चिह्नित करते हुए एनआरसी केन्द्रों पर भर्ती के निर्देश दिए थे। नोटिस के बाद हडकम्प सी स्थिति बनी और एनआरसी सेंटर पर बच्चों को भर्ती कराया गया। खेती-किसानी से सेंटर की बन रही दूरी महिला बाल विकास विभाग के अनुसार कुपोषित बच्चों को एनआरसी सेंटर भेजने में अब अभिभावक खेती का हवाला देकर बच्चों को सेंटर भेजने से दूरी बना रहे हैं। हालंाकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए अभिभावकों को प्रेरित भी कर रहे हैं। लेकिन अभिभावकों के दिए जा रहे आश्वासन के बाद वे सेंटर नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विभाग आगामी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर चिंता जता रही है। केंद्रों पर बच्चों की संख्या अनूपपुर में 20 की क्षमता में 9 बच्चों की उपस्थिति हैं। जैतहरी 10 में 01,कोतमा 10 में 02, राजेन्द्रग्राम 20में 09, करपा 10 में 07 बच्चों की उपस्थिति हैं। मार्च बच्चों की रही भर्ती स्थिति अनूपपुर में 11,कोतमा 14,राजेन्द्रग्राम 22,करपा 08 एवं जैतहरी में 12 रहीं। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला