अनूपपुर, 18 फरवरी (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के दौरान रक्त की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल अनूपपुर की मदद के लिए अब शहडोल और सतना ब्लड बैंक ने मदद का हाथ बढ़ाया है। सतना जिले से 50 यूनिट ब्लड और शहडोल जिले से 25 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। इस प्रकार अब जिला चिकित्सालय अनूपपुर में 75 यूनिट ब्लड की उपलब्धता होगी, जिससे खून की कमी से जूझ रहे मरीजों खासकर सिकलसेल, एनीमिक प्रसूता माताओं को राहत मिलेगी। जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक प्रभारी एवं पूर्व सीएमएचओ डॉ. आरपी श्रीवास्तव ने बताया कि जिला चिकित्सालय में खून की कमी को देखते हुए दोनों जिलों से मदद की अपील की गई थी, जिसमें सतना और शहडोल जिले से मदद का आश्वासन दिया गया। सतना की ओर से 50 यूनिट ब्लड और शहडोल से 25 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह जरूरतें सम्बंधित चिकित्सालय द्वारा अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद कराया जा रहा है। इसका कारण बताते हुए कहा कि वहां खपत से अधिक दानदाता अधिक आ रहे हैं। जबकि अनूपपुर जिले में कुपोषण और सिकलसेल के कारण मरीजों के परिजन भी अपना रक्तदान नहीं कर पाते। जिसमें अस्पताल में उपलब्ध रक्त मरीजों को प्रदाय करने के बाद वापसी में कुछ नहीं मिल पाता। वर्तमान में जिला चिकित्सालय में 5-7 यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो रहे थे। जबकि मरीजों की मांग में रोजाना 12-15 यूनिट ब्लड खपत होती है। इसके लिए मरीजों पर आश्रित रहना पड़ता था। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान मात्र चार शिविर लगाए गए। जिसमें क्षमता के अनुरूप रक्तदाता भी शामिल नहीं हुए। जिसके कारण रक्त की कमी जिला अस्पताल में बनी रही। लेकिन अब मरीजों को राहत मिल जाएगी। सिकलसेल से अनूपपुर सर्वाधिक प्रभावित सेवानिर्वत चिकित्सका अधिकारी डा. एसआरपी द्विवेदी के अनुसार प्रदेश में अनूपपुर जिला सिकलसेल से सर्वाधिक प्रभावित जिला माना गया है। लगभग 3500 से अधिक मरीज सर्वे में सामने आए हैं। लेकिन यह आंकड़ा 5 हजार से भी अधिक माना गया है। इसमें ऐसे मरीजों के लिए प्रत्येक 3 माह में रक्त की आवश्यकता होती है। लेकिन गरीब परिवार से जुड़े होने के कारण परिवार से ब्लड की बदला-बदली में कुछ हासिल नहीं होता है। हालांकि जिला ब्लड बैंक में 300 यूनिट की क्षमता है इनमें न्यूनतम 100 यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य है, लेकिन न्यूनतम हालात में 25 अनिवार्य माना गया है। लेकिन हालात यह है कि सालभर से अधिक समय से 25 यूनिट भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। प्रतिमाह जिला अस्पताल को 150-200 यूनिट की आवश्यकता होती है। इनमें सर्वाधिक ग्रूप ओ पोजिटिव लगभग 60-75 यूनिट तथा सबसे कम एबी पॉजिटिव 10-12 यूनिट खर्च होता है। कोतमा और राजेन्द्रग्राम सीएचसी में नहीं ब्लड बताया जाता है कि कोतमा और राजेन्द्रग्राम में मरीजों की जरूरतों के लिए 25 यूनिट क्षमता के ब्लड यूनिट बनाए गए हैं। लेकिन यहां सालभर से एक भी यूनिट ब्ल्ड की आपूर्ति नहीं हो सकी। यहां जिला चिकित्सालय से ही ब्लड की आपूर्ति बनाया जाना है। लेकिन खुद खून की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय से दोनों सीएचसी सेंटर के लिए ब्लड कहां से उपलब्ध हो। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. आरपी श्रीवास्तव का कहना हैं कि अब जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को रक्त मिल सकेगा। दो जिलों से मदद के लिए 75 यूनिट ब्लड मिले हैं, यह राहतभरी है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in