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मध्य-प्रदेश

हमारे जनजातीय भाइयों के पास है जीवन जीने की कला : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Raftaar Desk - P2

दमोह, 07 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के मुख्य आतिथ्य में दमोह जिले की ग्राम पंचायत सिंग्रामपुर में रविवार को सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य के शिलान्यास और राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन में राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि जीवन जीने की कला हमारे जनजातीय भाइयों के पास है। समूह में जीना, कदम से कदम मिलाकर चलना, कठिनाइयों में भी जिंदगी में जुनून भरना उनके जीवन का मूल मंत्र है। वे कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संजोए हुए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में जनजातीय समुदाय के पास शहरी लोगों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। जब हम जनजातीय समुदाय के साथ काम करते हैं, तो हमें हमेशा खुले दिमाग से काम करना चाहिए। हमें हमेशा विनम्रता बनाए रखनी चाहिए। तभी हम उन महत्त्वपूर्ण पाठों को सीख सकते हैं जो जनजातीय समुदाय शहरी लोगों को सिखा सकता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें जंगल की जड़ी बूटियों के अंदर औषधीय ताकत की पहचान है। उनके ज्ञान को सहेजना और जिस मेडिकल साइंस को दुनिया समझती है, उसमें प्रस्तुत करना और उसका विश्व बाजार में कैसे उपयोग हो सकता है, इस दिशा में चिंतन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में समावेशी विकास के मंत्र “सबका साथ-सबका विकास” के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार जनजातीय समुदाय के विकास को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में सम्मिलित किया गया है। प्रदेश में जनजाति जनसंख्या के अनुपात में 21 प्रतिशत से अधिक बजट प्रावधान करके आदिवासी उप-योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न विभागों के माध्यम से योजनाएँ संचालित कर जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी भाई बहनों को राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की प्रक्रिया को सरल सुगम एवं ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। उनके शैक्षणिक विकास के लिए छात्रवृत्ति वितरण व्यवस्था को भी सुगम बनाया गया है। प्रदेश में करीब 25 लाख जनजातीय विद्यार्थियों को 465 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति गतवर्ष प्रदान की गई है। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों के लिए जैविक प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल स्थापित किया जायेगा। अनुसूचित जनजातियों को लघु वनोपजों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिये तेरह जिलों में 86 स्थानों पर वन-धन केन्द्र का विकास किया जा रहा है। नवीन 18 लघु वनोपजों को मिलाकर इस वित्तीय वर्ष में कुल 32 लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/राजू