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मध्य-प्रदेश

विशेषज्ञों की सलाह: संतुलित यूरिया खाद ही उपयोग में ली जायें

Raftaar Desk - P2

मंदसौर 22 मई (हि.स.)। केन्द्र सरकार ने समयानुसार उचित निर्णय लेकर डीएपी एवं अन्य खाद के दामों में कंपनियों द्वारा की गई मूल्यवृद्धि को वापस लेकर किसानों के हित में एक साहसिक निर्णय लिया जो स्वागत् योग्य है। किसानों को खेती से लाभ में यूरिया खाद एक बड़ी बाधा है, इसके संतुलित उपयोग पर ध्यान देना भी बेहद जरुरी है। इसका अंधाधुंध उपयोग खेती की उर्वरा शक्ति को कम कर रहा है। उक्त सुझाव शनिवार को फर्टिलाइजर एसोसिएशन नईदिल्ली द्वारा आयोजित खेती में लाभ के लिए संतुलित खादों का उपयोग विषय पर आनलाइन कार्यशाला में अशोक कुमठ (पिपलिया) ने दिए। कुमठ ने बताया फसलों के लिए तीन आवश्यक तत्व नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश (एनपीके) में नाईट्रोजन का एक मात्र स्त्रोत यूरिया खाद है। इसके असंतुलित उपयोग के कारण तीनों तत्वों के उपयोग का अनुपात 4ः2ः1 होना चाहिए। जो बिगड़कर 15ः8ः1हो गया। असंतुलित खाद भूमि को बंजर बनाने में एक उत्प्रेरक का कार्य कर रहे है, देश की करीब 54 प्रतिशत उपजाउ भूमि की मिट्टी अपनी उर्वरकता खो चुकी है। कुमठ ने आगे बताया सोयाबीन जैसी फसल जिसकी जड़ों में रायजोबियम बेक्टिरिया होते है, जो प्रकृति से नाइट्रोजन अवशोषित कर लेते है, उसमें अलग से नाइट्रोजन (यूरिया) देने की कोई आवश्यकता है, लेकिन धड़ल्ले से उपयोग करते आ रहे है। गेंहू की फसल में 10 से 60 किलो प्रति हेक्टेयर यूरिया चाहिए, लेकिन किसान जानकारी के अभाव में 120 से 150 किलो का उपयोग कर रहे है। हिन्दुस्थान समाचार/अशोक झलौया/राजू