बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध रोकने जनजागरूकता जरूरी: डॉ पांडे
बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध रोकने जनजागरूकता जरूरी: डॉ पांडे 
मध्य-प्रदेश

बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध रोकने जनजागरूकता जरूरी: डॉ पांडे

Raftaar Desk - P2

ग्वालियर,28 जुलाई (हि.स.)। बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध जैसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग में लैंगिक अपराधों के प्रति जनजागरूकता जरूरी है। 18 वर्ष से कम आयु के बालकों के साथ लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीडऩ और अश्लील साहित्य अपराधों से बालकों को संरक्षण प्रदान करने के लिये पॉक्सो अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चे, जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ है या करने का प्रयास किया गया है, वे सब इसके दायरे में आते हैं। यह बात मंगलवार को पीटीएस तिघरा में आयोजित लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण एवं फोरेंसिक साइंस की भूमिका विषय पर आयोजित ऑनलाइन कार्यशाला में माधव विधि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नीति पांडे ने मुख्यवक्ता के रुप में कही। उन्होंने कहा कि यह कानून जहां बच्चे के साथ लैंगिक शोषण की घटना हुई हो या होने की संभावना हो, दोनों ही स्थिति में लागू होता है। कार्यशाला में आरएफएसएल के सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक एसपी शर्मा ने बताया कि जब गवाह पलट जाते है, तो फोरेंसिक रिपोर्ट ही आरोपी को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण होती है। कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक निवेदिता गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अताउल्लाह सिद्धीकी, विजय कुमार आदि शामिल रहे। हिन्दुस्थान समाचार/शरद-hindusthansamachar.in