Argon Donation: First green corridor in Bhopal during Corona era
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मध्य-प्रदेश

आर्गन डोनेशन : भोपाल में कोरोना काल में बना पहला ग्रीन कॉरीडोर

Raftaar Desk - P2

ब्रेन डेड घोषित शिक्षिका के लिवर, किडनी और आंखों से तीन लोगों की मिलेगी नई जिंदगी भोपाल, 10 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार देर शाम ग्रीन कॉरीडोर बना। भोपाल की 58 वर्षीय ताप्ती चक्रवर्ती को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद परिजनों ने उनके लिवर, किडनी और आंखें दान की, जिन्हें ग्रीन कॉरीडोर बनाकर ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया। ताप्ती का लिवर दिल्ली भेजा गया है, जबकि किडनी और आंखें भोपाल के अस्पताल में पहुंचाई गई। कोरोना काल में यह पहला ग्रीन कॉरीडोर बना। बता दें कि 2016 से अब तक भोपाल में 12 लोगों के ब्रेन डेड होने के बाद उनके अंगदान हो चुके हैं। भोपाल ऑर्गन डोनेशन सोसायटी के काउंसलर सुनील राय के अनुसार, 58 वर्षीय ताप्ती चक्रवर्ती को गत पांच दिसम्बर को ब्रेन हेमरेज हुआ था। उनका बंसल अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार दोपहर उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उनके पति अभय चक्रवर्ती दुग्ध संघ में भंडार नियंत्रक पद पर हैं, जबकि बेटेे अमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। ताप्ती के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों ने उनके आर्गन डोनेट कर दिये। ट्रैफिक पुलिस ने उनके अंगों को गन्तव्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से शनिवार देर शाम बंसल अस्पताल से एयरपोर्ट एवं बंसल अस्पताल से सिद्धांता अस्पताल तक दो ग्रीन कॉरीडोर बनाये गये। चुनौती यह थी कि बारिश हो रही थी और विजिबिलिटी (दृश्यता) 800 मीटर थी। एएसपी ट्रैफिक संदीप दीक्षित ने बताया कि प्रथम एम्बुलेंस बंसल अस्पताल से शाम 6.48 बजे निकली, जिसने एयरपोर्ट तक की 20 किमी की दूरी महज 18 मिनट में तय की। दूसरी एम्बुलेंस बंसल अस्पताल से 07.03 बजे निकली, जिसने सिद्धांता अस्पताल की 05 किमी की दूरी मात्र 7 मिनट में पूरी की। कॉरीडोर की व्यवस्था में एएसपी दीक्षित सहित 100 से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी मुस्तैदी से तैनात रहे। ताप्ती का लिवर दिल्ली के आइएलबीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एवं बिलयरी साइंस) में एक मरीज को ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया, जबकि उनकी एक किडनी सिद्धांता रेडक्रास में और एक बंसल अस्पताल में जरूरतमंदों को लगेगी। वहीं, कॉर्निया हमीदिया में दो लोगों को लगाई जाएंगी। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए कोई मरीज नहीं मिला है। हार्ट की जरूरत वाले मरीज की खोज देशभर में नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नोटो) और रीजनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (रोटो) की ओर से की गई। गौरतलब है कि ताप्ती एक शिक्षिका थीं और उन्होंने जीवनभर बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का प्रकाश फैलाने का काम किया। अब वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अब उनके अंग तीन लोगों को नई जिंदगी देंगे। ताप्ती के बेटे अमित ने कहा कि मां ने जीवन भर दूसरों की मदद की। मैं अपनी मां के अंगों को बेकार नहीं होने दे सकता था। उनकी किडनी, लिवर से किसी को नई जिंदगी मिलेगी। उनकी आंखों से दो लोगों की जिंदगी में उजाला आ सकेगा। रविवार को ताप्ती का अंतिम संस्कार किया गया। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद-hindusthansamachar.in