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मध्य-प्रदेश

बालाघाट में पाए गए 47 सारस क्रेन पक्षी

Raftaar Desk - P2

बालाघाट, 26 जून (हि.स.)। पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण तथा संवर्धन के किए निरंतर कार्यरत सेवा संस्था गोंदिया के अध्यक्ष सावन बहेकार तथा सारस संरक्षण के लिए कार्यरत बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल एवं वन विभाग द्वारा सारस गणना का कार्य पारंपरिक तथा शास्त्रीय पद्धती से प्रत्येक वर्ष किया जाता है। इस वर्ष भी बालाघाट तथा गोंदिया जिले में कुल 70 एवं 80 स्थानों पर सेवा संस्था, बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल के सदस्य स्थानिय किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग गोंदिया और बालाघाट के अधिकारी तथा कर्मचारियों द्वारा छह दिन में सारस गणना को पूर्ण किया गया। कलेक्टर दीपक आर्य ने शनिवार को बताया कि गणना में बालाघाट जिले में 47, गोंदिया जिले में 39 एवं भंडारा में 02 सारस पाए गए। विशेषकर बालाघाट जिले में सबसे अधिक सारस पाया जाना हर्ष का विषय है । उन्होंने बालाघाट के किसानों से अपील की है कि सारस के घोंसलों को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुंचाया जाए तो प्रत्येक वर्ष 10-12 जोड़े सारस की संख्या में वृद्धि देखी जा सकती है। प्रत्येक किसान एवं ग्रामीणों को जागरुक रहकर इनके संरक्षण हेतु सजगता से कार्य करना चाहिए । इससे बालाघाट जिला सारस के लिए पहचाना जायेगा। बालाघाट जिले के लिए 18 तथा गोंदिया भंडारा जिले में 23 टीमें बनाकर सारस के विश्रांती स्थल पर सुबह 5 बजे पहुंचकर 10 बजे तक विविध स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की गयी । प्रत्येक टीम में 2 से 4 सेवा संस्था के सदस्य तथा वनविभाग कर्मचारियों का समावेश किया गया। सारस गणना के सदस्यों द्वारा वर्षभर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पथ की मानीटरिंग की जाती है, साथ ही सारस के रहवास एवं उनके आसपास रहने वाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है। रहवास के आस पास सेवा संस्था द्वारा स्कूल तथा महाविद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं सारस संवर्धन एवं संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है। बाघ एवं वैनगंगा नदी महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के गोंदिया तथा बालाघाट जिलों को विभाजित करती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता मे काफी समानता पायी जाती है । अतः कुछ सारस के जोड़े अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाये जाते हैं। सीमाओं का बंधन उनके लिए मायने नही रखता जो मनुष्य के लिए एक अच्छा सबक है। सारस गणना के संपूर्ण अभियान में उप वन संरक्षक कुलराज सिंह वनविभाग गोंदिया तथा दक्षिण वनमंडल बालाघाट के मंडल अधिकारी जीके वरकडे का मार्गदर्शन एवं सहयोग मिला। साथ ही वनविभाग के वनपरिक्षेत्र अधिकारी हट्टा गोविंद मरावी, वनपरिक्षेत्र अधिकारी गोंदिया सुशिल नादवट वनपरिक्षेत्र अधिकारी तिरोडा, शेषराव आकरे गोंदिया व समस्त वनकर्मचारियों का सहयोग प्राप्त हुआ है। सेवा संस्था एवं बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल के सदस्यों ने गणना कार्य में अथक प्रयास किये। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश