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झारखंड

ग्रामीण खुद ऐसे बने कि उन्हें वैसाखी की जरूरत नहीं हो : मनरेगा आयुक्त

Raftaar Desk - P2

मेदिनीनगर, 16 फरवरी (हि.स.)। ग्रामीणों के वैचारिक, सामाजिक व आर्थिक विकास होगा तो वे खुद ही सम्पन्न होंगे। स्वावलंबी गांव बने, जिसका अपना सहारा हो। यह बातें मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कही। वे मंगलवार को जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के पथरा पंचायत भवन परिसर में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण खुद ऐसे बने कि उन्हें वैसाखी की जरूरत नहीं हो। उन्होंने सेवा भाव से कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अध्यात्म की पहली सीढ़ी सेवा है। लोग ठान लें कि उन्हें सरकार की योजनाओं से कोई जरूरी नहीं है, तो खुद-ब-खुद विकास दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि पलामू का पथरा राज्य का 36 वा गांव है, जो नशा मुक्त घोषित हुआ है। उन्होंने कहा कि पथरा के ग्रामीण साथ दें, तो 3 साल के बाद इतना विकास देखने को मिलेगा कि वे अपने गांव को ही नहीं पहचान पाएंगे। मनरेगा आयुक्त ने मुख्य रूप से तीन चीजों पर विशेष बल देते हुए कहा कि ग्रामीण गांव में रहना शुरू करें। ग्रामसभा को अच्छा बनायें व उसके माध्यम से गांव को संगठित व एक करें और लोक शिक्षण का कार्य करें। इन तीन से गांव की प्रगति होगी और समस्याएं दूर होगी। उन्होंने संस्कारयुक्त एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और देश व समाज के प्रति लोगों को जीने की जज्बा रखने पर बल दिया। उन्होंने पथरा के बच्चों की शिक्षा में बदलाव पर जोर देते हुए एक अच्छे शिक्षक देने की बातें कही, जो गांव में ही रहकर बच्चों को शिक्षा देंगे और उन्हें जगाने का कार्य करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in