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झारखंड

कर्क और मकर रेखा के बीच अवस्थित झारखंड का यह क्षेत्र बन सकता है सौर ऊर्जा का हब

Raftaar Desk - P2

रांची, 18 फरवरी (हि. स.)। विश्व के मध्य से होकर गुजरने वाली काल्पनिक रेखा कर्क रेखा के नाम से जानी जाती है। कर्क और मकर रेखा के अंतर्गत आने वाले देशों के बीच सौर ऊर्जा के विकास की आपार संभावनाएं है, क्योंकि सूर्य का मूवमेंट इन्हीं दोनों रेखाओं के बीच होता है और यहां से काफी सोलर एनर्जी मिलती है। झारखंड के लिए खास बात यह है कि रांची के ओरमांझी के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग-33 से कर्क रेखा गुजरती है। इसे समझने के लिए प्रतीक स्वरूप स्मारक भी बनाया गया है। यह स्मारक अपने आप में कई भौगोलिक जानकारियों को समेटे हुए हैं। रांची स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरीय वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि कर्क और मकर रेखा के अंतर्गत आने वाले देशों के बीच सौर ऊर्जा के विकास की अपार संभावनाएं को देखते हुए वर्ल्ड सोलर एलायंस बनाया गया है जिसका मुख्यालय नोएडा में है। उन्होंने बताया कि भौगोलिक दृष्टिकोण से कर्क रेखा का काफी महत्व है। कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले देशों में उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इसके साथ ही इन देशों की जलवायु, तापमान, लोगों के रहन सहन और खानपान में भी अंतर देखा जाता है। अभिषेक आनंद ने बताया कि कर्क रेखा झारखंड समेत देश के आठ राज्यों से होकर गुजरती है। यह रेखा सबसे पहले गुजरात फिर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और अंत में मिजोरम होते हुए भारत से गुजर जाती है। कर्क रेखा को समझने और महसूस करने के लिए ओरमांझी में विशेष रुप से स्मारक बनाया गया है, जिसका उद्घाटन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2017 में 21 जून को किया था। राजमार्ग के किनारे होने के कारण आने जाने वाले लोग इसे आसानी से देख सकते हैं। 21 जून को यहां मेला सा नजारा नजर आता है। 21 जून को दोपहर 12 बजे जब सूर्य की किरणें कर्क रेखा से गुजरती हैं, जो अंटार्कटिक वृत से सूर्य दिखाई नहीं पड़ता है और यहां कुछ क्षण के लिए व्यक्ति की परछाई भी नजर नहीं आती है। कर्क रेखा पृथ्वी का उतरतम अक्षांश रेखा है, जिस पर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता है। यह स्थिति 21 जून को होती है, जब उतरी गोलार्द्ध सूर्य के समकक्ष अधिक झुक जाता है। इस दिन जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उतरी गोलार्द्ध में वह दिन सबसे लम्बा और रात सबसे छोटी है। रिमोर्ट सेंसिंग डिपार्टमेंट और बीआईटी मेसरा ने इस रेखा को चिह्नित किया है। हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना-hindusthansamachar.in