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झारखंड

'कोविड-19 महामारी के दौरान बाल सुरक्षा के उपाय' विषय पर वक्ताओं ने रखे विचार

Raftaar Desk - P2

रांची, 08 जून (हि.स.)। रांची विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं यूनीसेफ के तत्वावधान में मंगलवार को 'कोविड -19 महामारी के दौरान बाल सुरक्षा के उपाय' विषय पर उन्मुखीकरण ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें रांची विश्वविद्यालय के 12 महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय विभागों के एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी व स्वयंसेवकों सहित 224 लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि कोविड महामारी में बच्चों को भरपूर प्यार और अधिक समय देकर उनको सुरक्षित रखा जा सकता है। जिन बच्चों ने कोरोना काल में माता-पिता खोया है उनको सहानुभूति एवं सम्मान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बच्चों को घर में बने शुद्ध एवं पौष्टिक भोजन देने की अपील करते हुए कहा कि बाजार के खाद्य पदार्थों को बिल्कुल नहीं दे। उन्होंने बच्चों को व्यस्त रखने की वकालत करते हुए कहा कि अगर बच्चों की दिनचर्या जितना व्यस्त होगी, उतना ही वे खुश रहेंगे। उन्होंने बच्चों को उनके दोस्तों से वीडियो कॉलिंग से बात करने देने की भी अपील की। एनएसएस गुवाहाटी के क्षेत्रीय निदेशक दीपक कुमार ने कहा कि कोविड के कारण बच्चे काफी प्रभावित हुए हैं। उनको स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक भोजन देना चाहिए। बच्चों को अच्छे से हाथ धोने के लिए कहना, उनको तनाव से दूर रखना एवं उन्हें अपना दोस्त बनाकर बात करने से काफी हद तक उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है। एनएसएस पटना के क्षेत्रीय निदेशक पीयूष परांजपे ने कहा कि कोविड -19 महामारी के तृतीय लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की बात कही जा रही है एवं इनको टीका भी नहीं लगा है। हमें बच्चों को प्रभावित होने से बचाने के लिए अभी से सामूहिक प्रयास करना होगा। यूनीसेफ झारखंड की बाल सुरक्षा विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने बाल सुरक्षा के विभिन्न उपायों एवं बचाव के बारे में विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने कहा कि आपदा में बच्चे काफी प्रभावित हुए हैं एवं बाल समस्याएं काफी बढ़ी है। जिन बच्चों का कोई परिवार नहीं है या जो माता-पिता से बिछड़ जाते हैं, वे इस महामारी में काफी असुरक्षित हैं। एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेश कुमार ने कहा कि बच्चों का विद्यालय एवं खेलकूद गतिविधियां बंद है एवं एकाकी जैसा समय हो गया है। आज आवश्यकता है बच्चों को समय देने एवं व्यस्त रखने की जरूरत है। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण